नई दिल्‍ली : अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने फुली सबस्‍क्राइब होने के एक दिन बाद 20 हजार करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) वापस ले लिया है, जो कुछ बड़े भारतीय समूहों की मदद से सब्सक्रिप्शन के अंतिम दिन पूरी तरह से सब्सक्राइब हो गया था.
कंपनी ने एक बयान में कहा, “बाजार में उतार-चढ़ाव को ध्‍यान में रखते हुए उसने फॉलोआन पब्लिक ऑफर वापस ले लिया है और वह निवेशकों के पैसे वापस लौटाएगी.”

अडानी इंटरप्राइजेज के चेयरमैन गौतम अडानी ने बयान में कहा, , “आज मार्केट अप्रत्‍याशित रहा है और हमारी स्‍टॉक प्राइज दिनभर ऊपर-नीचे होती रही. इन असाधारण परिस्थितियों में कंपनी के बोर्ड ने महसूस किया कि आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होगा. निवेशकों का हित सर्वोपरि है इसलिए उनको किसी भी संभावित नुकसान से बचाने के लिए बोर्ड ने एफपीओ के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला लिया है.” 
विदित हो कि बीएसई के आंकड़ों के अनुसार, गैर-संस्थागत निवेशकों ने उनके लिए आरक्षित 96.16 लाख शेयरों के तीन गुना से अधिक के लिए बोलियां लगाईं, जबकि योग्य संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) के लिए आरक्षित 1.28 करोड़ शेयरों को लगभग पूरी तरह से सब्सक्राइब किया गया.
कंपनी ने कहा कि इस फैसले से उसकी आगे की योजनाएं प्रभावित नहीं होंगी. कंपनी ने कहा कि हमारी बैलेंस शीट बहुत अच्छी स्थिति में है और क़र्ज़ चुकाने के मामले में हमारा ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग रहा है.

गौतम अडानी ने एफपीओ के प्रति समर्थन जताने के लिए निवेशकों को धन्‍यवाद दिया है क्‍योंकि सबस्क्रिप्‍शन मंगलवार को सफलतापूर्ण बंद हो गया था. उन्‍होंने कहा, “पिछले एक सप्‍ताह से स्‍टॉक में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपका कंपनी के प्रति विश्‍वास आश्‍वस्‍त करने वाला है.”

बताया जा रहा हैं कि मुकेश अंबानी, सुनील मित्तल और सज्जन जिंदल जैसे शीर्ष उद्योगपतियों के पारिवारिक कार्यालय उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने अंतिम दिन एफपीओ के मेन बुक में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

बता दें कि अडानी समूह की फर्मों के शेयरों में बुधवार को गिरावट आई और यूएस-आधारित लघु विक्रेता हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर चिंताओं के बीच पिछले पांच कारोबारी सत्रों में उनके संयुक्त बाजार पूंजीकरण में 7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई है.

24 जनवरी को ट्रेडिंग के अंत में बाजार मूल्यांकन की तुलना में गिरावट लगभग 38 प्रतिशत है, जिस दिन रिपोर्ट जारी की गई थी.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह पर धोखाधड़ी वाले लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई आरोपों के बाद अडानी समूह के शेयरों ने शेयर बाजारों पर दबाव डाला है.

अडानी समूह ने आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया है, यह कहते हुए कि यह सभी कानूनों और प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन करता है. इसने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को निराधार बताया और न्यूयॉर्क के छोटे विक्रेता पर मुकदमा करने की धमकी दी.

इस बीच प्राप्त खबरों के अनुसार, रॉयटर्स ने बताया है कि, बाजार नियामक सेबी एफपीओ में किसी भी संदिग्ध उल्लंघन की जांच कर रहा है.

सेबी कथित तौर पर यूएस शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच कर रहा है कि अडानी संस्थाएं संबंधित पक्ष लेनदेन को आवश्यकतानुसार घोषित करने में विफल रहीं.
सेबी के प्रवक्ता ने यह कहते हुए कोई टिप्पणी नहीं की कि वे कंपनी विशिष्ट मामलों और चल रही जांच पर चर्चा नहीं करते हैं.