नई दिल्ली। इसके लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय( इंडियन इंफार्मेशन एंड बाडकास्टिंग मिनिस्ट्री) ने गाइडलाइंस भी जारी कर दी है। जल्द ही दिशा-निर्देश धरातल पर उतरेंगे। वेब मीडिया की बढ़ती ताकत और प्रसार के मद्देनजर सरकार की ओर से लिए गए इस फैसले से दोनों पक्षों को लाभ होगा। एक तो सरकारी विज्ञापनों से न्यूज पोर्टल की माली हालत अच्छी होगी, वहीं ऑनलाइन उपलब्ध करोड़ों यूजर्स तक सरकार आसानी से अपनी बात पहुंचा सकेगी। सरकारी रीति-नीति के प्रचार-प्रसार में सहूलियत होगी। मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक मानकों पर खरे उतरने वाले और विश्वसनीय खबरों वाले पोर्टल-वेबसाइट को सरकार सूचीबद्ध करेगी। यह काम सरकारी एजेंसी डीएवीपी करेगी। इन्हीं वेबपोर्टल को विज्ञापन मिल सकेगा।

दरअसल वेबपोर्टल की संख्या हजारों की तादाद में हैं, जिसमें तमाम फर्जी ढंग से चल रहे हैं। बेसिर-पैर की खबरें प्रसारित करते हैं। उनके गिने-चुने यूजर ही हैं। इस नाते सरकार ने अधिक प्रसार संख्या वाले न्यूज पोर्टल्स की ही सूची बनाने की तैयारी शुरू की है। मंत्रालय ने यूजर डेटा के आधार पर तीन कटेगरी में पोर्टल-वेबसाइट्स को बांटेगा। उदाहरण के तौर पर अगर पोर्टल पर छह लाख यूजर प्रति महीने आ रहे हैं तो उसे ए ग्रेड में, तीन से छह लाख संख्या है तो बी ग्रेड और 50 हजार से तीन लाख हैं तो सी ग्रेड में रखा जाएगा। ऊंचे ग्रेड का विज्ञापन रेट ज्यादा होगा। मंत्रालय के मुताबिक उन्हीं वेबपोर्टल को सरकारी विज्ञापन मिलेगा, जिनका संचालन व्यक्तिगत नहीं बल्कि संस्थागत यानी कारपोरेट तरीके से होता है। इनका पंजीकरण भी कंपनी नियमों के तहत जरूरी होगा।

सरकार की डायरेक्टोरेट आफ एडवरटीजमेंट एंड विजुअल पब्लिसिटी(डीएवीपी) एजेंसी ही सरकारी विज्ञापनों की व्यवस्था संभालती है। यही सरकारी रेट निर्धारण करती है। इसी कंपनी के जिम्मे न्यूज पोर्टल की लिस्टिंग व विज्ञापन रेट तय करना होगा। अखबार व टीवी चैनलों की तरह यही एजेंसी सभी सरकारी विभागों व मंत्रालयों के विज्ञापन वेबसाइट्स को भी प्रदान करेगी। इसकी भूमिका सभी सरकारी महकमे और मंत्रालयों के बीच नोडल एजेंसी की होगी। डीएवीपी की ओर से सभी लिस्टेड न्यूज पोर्टल पर हर माह आने वाले विजिटर की चेकिंग होगी। जिस वेबसाइट के हर माह जितने अधिक यूजर होंगे, उसी आधार पर उसे विज्ञापन मिलेंगे। यानी यूनिक यूजर डेटा के आधार पर ही अधिक से अधिक विज्ञापन का लाभ मिलेगा। लिहाजा जिस पोर्टल के ज्यादा यूजर होंगे, वह ज्यादा विज्ञापन पाकर मालामाल होगी। जिन न्यूज पोर्टल को इंडियन ब्राडकास्टिंग मिनिस्ट्री सूचीबद्द करेगी उसकी हर साल समीक्षा होगी। देखा जाएगा कि अब भी न्यूज पोर्टल पहले की तरह लोकप्रिय है या नहीं। हर साल के अप्रैल के पहले सप्ताह में यूनिक यूजर डेटा की सरकारी स्तर से समीक्षा होगी। इसके बाद हर साल नई सूची तैयार होगी। जिन पोर्टल पर यूजर की संख्या अच्छी-खासी बरकरार रहेगी वे सूची में बने रहेंगे बाकी बाहर कर दिए जाएंगे। सवाल उठता है कि यूजर के सर्वमान्य आंकड़े कहां से मिलेंगे। इसके लिए मंत्रालय का कहना है कि उस वेबसाइट ट्रैफिक टूल्स का इसमें इस्तेमाल होगा, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर से मान्यता प्राप्त हो। इसके साथ यह सिस्टम भारतीय वेबसाइट ट्रैफिक का मूल्यांकन करने वाला हो। इस सिस्टम से मुहैया कराए गए यूनिक यूजर के आंकड़े ही मान्य होंगे। इसी आधार पर विज्ञापनों का वितरण होगा।


सरकार का प्रयास वेबपोर्टल को संजीवनी देने वाला पिछले कुछ अरसे से वेबपोर्टल की संख्या मे तेजी से इजाफा हो रहा है। भविष्य की पत्रकारिता वेब जर्नलिज्म के रूप में तब्दील होने की बात कही जा रही है। आने वाला कल इसी का है। यह बात सरकार भी बखूबी समझ सकती है। मगर अब तक सरकारी स्तर से वेब जर्नलिज्म को बढ़ावा देने की कोई कोशिश नहीं हो रही थी। पोर्टल अपने संसाधनों से ही मार्केट में बने रहने की कठिन कोशिश कर रहे थे। अब सरकारी विज्ञापनों की खुराक पाकर वेब पोर्टलों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।