

बीकानेर। खुशी से जीओ, खुशी के लिए नहीं। किसी से कटुवचन मत बोलो, यदि कोई गलती हो भी गई है तो तुरंत क्षमा मांग लो। अगले पल भी जीवित रहोगे इसकी कोई निश्चितता नहीं है। अपनों से, रिश्तों में, मित्रता में या किसी भी संबंध में कभी भी बहस मत करो, हार मान लो आपकी हार में ही जीत है। उक्त प्रवचन रविवार को जैन पी.जी. कॉलेज मैदान में ‘देश और व्यापार’ समाचार पत्र के पत्रकार प्रकाश पुगलिया की षष्ठीपूर्ति के उपलक्ष में आयोजित अमृत महोत्सव में सिद्धि सम्राट विश्वसंत ब्रह्मर्षि श्री गुर्वानन्द स्वामी ने कहे। गुर्वानंदजी ने कहा कि कौन गलत, कौन सही मत देखो ये सोचो कि क्या सही है। हंसता हुआ आदमी बहुत सुंदरलगता है और रोता हुआ आदमी राक्षस लगता है। हंसते हो तो दो कदम परमात्मा की तरफ बढ़ जाते हैं। हंसाते हो तो भगवान तुम्हारी तरफ दो कदम बढ़ा देते हैं। इसलिए कभी किसी को दु:ख मत दो। किसी भी रूप में हिंसा मत करो। महाराजश्री ने कहा कि धर्म बांधता नहीं बल्कि हर कर्म बंधन से मुक्त कर देता है। दुनिया में करोड़ों की संख्या में चुनने के बाद आपको रिश्ते-नाते मिले हैं उनसे प्रेम करो। भगवान ने अपने साथी से प्रेम के भाव कहने में शर्म मत करो और कटुवचन बोलने में जल्दबाजी बिल्कुल नहीं। तुम भगवान से ये मत कहो कि समस्या बड़ी है समस्या से कहो कि मेरे भगवान बड़े हैं। नवकार मंत्र एवं गायत्री मंत्र से कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए स्वामी जी ने कहा कि शरीर को सुंदर रखोगे तो स्वास्थ्य सही रहेगा। स्वास्थ्य सही रहेगा तो परिवार सुखी रहेगा और सुखी परिवार से ही सुदृढ़ समाज व देश का निर्माण होगा। हमें भगवान पर विश्वास रखना चाहिए। उनसे मांगना नहीं चाहिए। भगवान जानते हैं कि आपके लिए क्या उचित है।