रोहतक(अनूप कुमार सैनी)। आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान मा. रामपाल द्वारा की जा रही कथित अनियमितताओं की जांच व सभा में प्रशासक बैठाने की मांग को लेकर आज सभा के पदाधिकारी स्थानीय मानसरोवर पार्क में अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया गया। पदाधिकारियों ने धरना विधिवत रूप से हवन-यज्ञ के साथ शुरू किया। इस अवसर पर सभा के मंत्री आचार्य योगेन्द्र ने कहा कि वे साधु-संत हैं तथा ऐसे में आर्य समाज के मठ उनके मंदिर हैं। जहां जाने से वर्तमान प्रधान मा. रामपाल दहिया व हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा पुलिस-प्रशासन को इशारा करके उन्हें रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह साधुओं के साथ अन्याय व अत्याचार है।
आचार्य योगेन्द्र ने कहा कि जिस प्रकार अंग्रेजी सरकार को उखाडऩे में लाला लाजपत राय की मौत ने सरकार के कफन में कील का काम किया था। ऐसे ही यदि भाजपा सरकार इन भ्रष्टाचारियों का साथ देना बन्द नहीं करेगी तो उसे भी इसकी हानि उठानी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि प्रशासन व सरकार को ज्ञापन द्वारा पहले ही सारे मामले से सूचित किया जा चुका है लेकिन पुलिस द्वारा कार्यवाही न किया जाना दर्शाता है कि सरकार इनके दबाव में काम कर रही है। जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।
आचार्य आजाद ने कहा कि वर्तमान प्रधान मनमानी करके साधु-संतों को मठ से बाहर का रास्ता दिखा रहा है जबकि उसे ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है और इस पूरे मामले में आचार्य देवव्रत कुरूक्षेत्र की भूमिका पूर्ण रूप से खराब है। उन्होंने कहा कि गुरूकुल कुरूक्षेत्र आर्य प्रतिनिधि सभा की सम्पत्ति है लेकिन फिर भी आचार्य देवव्रत द्वारा इसकी आय-व्यय का कोई हिसाब आर्य प्रतिनिधि सभा को नहीं सौंपते।
इसके अलावा राज्यपाल देवव्रत के ओएसडी डॉ. राजेन्द्र ने भी आर्य प्रतिनिधि सभा की संपत्ति दयानंद महिला महाविद्यालय (कुरूक्षेत्र) का भी अलग से रजिस्ट्रेशन करवा कर संपत्ति कब्जा जमाए हुए हैं। इस महाविद्यालय की आय-व्यय का कोई हिसाब-किताब आर्य प्रतिनिधि सभा को नहीं दिया जाता है।
आचार्य आजाद ने आर्य समाज की पीड़ा को रखते हुए कहा कि आर्य प्रतिनिधि सभा की 90 संस्थाएं थी, जोकि आज समाप्त होती-होती 9 बच गई थी। उनमें से भी 2 संस्थाएं आचार्य देवव्रत तथा डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार कब्जा गये हैं। इसी तरह आर्य समाज की सम्पत्तियां समाप्त होती रही तो एक दिन आर्य समाज पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा। उन्होंने आर्य समाज के प्रतिनिधियों से अपील की कि अगर वे इन सम्पत्तियों की रक्षा नहीं करेंगे तो आने वाली आर्य समाज की पीढिय़ां आपको कोसेंगी।
धरने पर मुख्य रूप से आचार्य राजेन्द्र, पं. सत्यनारायण, देवराज आर्य पानीपत, जयपाल आर्य, पं. राममेहर, आनन्द मुनि, स्वामी सत्यानंद, राजपाल आर्य, जोगेन्द्र आर्य, सत्यवीर शास्त्री, रामकर्ण कालवा, दीपक आर्य, रामधन आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।