बीकानेर। शहर में कोटगेट क्षेत्र में रेल फाटकों के कारण होने वाली ट्रेफिक जाम की समस्या से बचने के लिए राज्य सरकार ने भले ही यहां एलिवेटेड रोड के निर्माण की स्वीकृति दे दी हो मगर बीकानेर में एलिवेटेड रोड के विरोध में एक बार फिर से व्यापारी विरोध करना शुरू कर दिया है।
बताया जा रहा है कि अब तक टू लेन बनने वाली एलिवेटेड रोड अब फोर लेन बनेगी। इसको लेकर सर्वे का काम भी पूरा हो चुका है। इसी के चलते बीकानेर व्यापार एसोसिएशन के व्यापारियों ने प्रेस-वार्ता में बताया कि बीकानेर के लोगों को एलिवेटेड रोड नहीं चाहिए, सिर्फ बाइपास ही चाहिए। कुछ व्यक्ति विशेष लोग है जो एलिवेटेड रोड का समर्थन कर रहा है। आमजन एलिवेटेड रोड के विरोध में है।
पूर्व विधायक एडवोकेट आर.के.दास गुप्ता ने कहा कि बीकानेर के भाजपा नेता भी नहीं चाहते कि एलिवेटेड रोड नहीं बने बल्कि वे मुख्यमंत्री से डरते है इसलिए आगे नहीं आते है। उन्होंने कहा कि अगर बीकोनर में एलिवेटेड रोड बनेगी तो आर.के.दास गुप्ता की डेड बॉडी पर बनेगी।
बीकानेर व्यापार एसोसिएशन अध्यक्ष नरपत सेठिया ने कहा कि बीकानेर के सबसे व्यस्तम बाजार को उजाड़कर एलिवेटेड रोड बनाने का क्या फायदा जब यहां का यातायात बाजार चौपट होने से खत्म हो जाएगा।
गौरतलब रहे कि वर्षों से रेल फाटकों की समस्या का सामना कर रहे लोगों को राहत देते हुए राज्य सरकार ने बीकानेर में एलिवेटेड रोड बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए बकायदा करीब सवा सौ करोड़ रुपए की राशि भी स्वीकृत हुई थी। राशि स्वीकृति के बाद एलिवेटेड रोड को लेकर यहां सर्वे भी हो चुका है।
बीकानेर व्यापार एसोसियेषन के उपाध्यक्ष सोनूराज आसुदानी एवंम प्रवक्ता श्यामकुमार तंवर ने कहा कि सभी को विदित है कि बीकानेर के केईएम रोड की यातायात समस्या का समाधान करने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत हैं। सरकार के इस प्रयास का बीकानेर व्यापार एसोसिएशन स्वागत करता है लेकिन प्रयास के लिए जो विकल्प तय किए गए हैं, उसका विरोध करता है। वर्तमान में जो विकल्प रखे गए हैं, उनके संबंध में एसोसिएशन अपना पक्ष रख रहा है। सरकार सैकड़ों लोगों का घर उजाड़कर रास्ता निकालने के बजाय कम खर्च और बेहतर सुविधा के साथ भी यह काम कर सकती है। महज सरकारी धन को बर्बाद करके और आम लोगों में भ्रांति फैलाकर बनाए जा रहे एलिवेडेट रोड के संबंध में कुछ तथ्य प्रस्तुत है।
रेलवे फाटक का समाधान दीनदयाल सर्किल से क्यों?
यह समस्या केईएम रोड और कोटगेट क्षेत्र की है, ऐसे में इसका समाधान दीनदयाल सर्किल से क्यों निकाला जा रहा है। बीकानेर सहित देशभर की जनता अपनी मेहनत से कमाए गए धन का हिस्सा सरकार को कर के रूप में देकर खजाना भरती है। इसकी बर्बादी का अधिकार सरकार को भी नहीं है। यह काम नेशनल हाइवे ऑथेरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को सौंपा गया है। यह सरकारी संगठन सिर्फ नेशनल हाइवे पर ही काम करता है। केईएम रोड चूंकि नेशनल हाइ वे नहीं है, इसलिए दीनदयाल सर्किल से रानीबाजार तक का काम करवाया जा रहा है ताकि दो नेशनल हाइवे का मिलान हो सके। सवाल यह खड़ा होता है कि जब देशभर में नेशनल हाइवे को शहर से बाहर निकाला जा रहा है तो राजस्थान सरकार बीकानेर शहर के भीतर नेशनल हाइवे क्यों ला रहा है। तब भारी वाहन भी इस रास्ते से होकर निकलेंगे। कभी रात के अंधेरे में और कभी दिन के उजाले में। इस दौरान होने वाली दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन होगा? अन्य शहरों को विकल्प के रूप में देखा जा सकता है, जहां ऐसी दुर्घटनाएं होती है, बड़ा उदाहरण अजमेर-जयपुर हाइवे एक्सप्रेस है, जो जयपुर के बीच से निकल रहा है।
950 करोड़ का मुआवजा
अगर सरकार दीनदयाल सर्किल से रानी बाजार तक फोर लेन का निर्माण करती है तो वर्तमान डीएलसी दर के आधार पर न्यूनतम मुआवजा भी दिया जाता है तो यह 950 करोड़ रुपए का होगा। सरकार की ओर से किए जा रहे सर्वे से कुछ ऐसे ही तथ्य सामने आ रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि पूरा प्रोजेक्ट 250 करोड़ रुपए का है, जो स्वयं सरकार ने तैयार किया है। यानी जो काम महज २५० करोड़ रुपए में हो सकता है, उसके लिए 950 करोड़ रुपए का खर्च क्यों किया जा रहा है। इसमें केंद्र सरकार के धन का दुरुपयोग हो रहा है और चहेते ठेकेदारों को मलाई खिलाने का काम हो रहा है। ज्ञात रहे 250 करोड़ में समस्या समाधान का प्रोजेक्ट भी इसी सरकार ने तैयार किया था, फिर अचानक से यह राशि क्यों बढ़ाई गई।
671 दुकान मालिक प्रभावित
अगर सरकार फोर लेन का निर्माण करती है तो 671 दुकान मालिकों के प्रतिष्ठानों पर कम या ज्यादा तोडना पड़ सकता है। इसमें बड़ी संख्या में लोगों के मकान भी है, जिनमें उनके परिवार रहते हैं। राष्ट्र हित में अगर यह काम भी करना पड़े तो किया जाए लेकिन जिस माजिसा मंदिर के पास पहले से 80 फीट रोड है, वहां मकान तोडने को सरकारी समझदारी नहीं कहा जा सकता बल्कि हिटलरशाही व्यवस्था ही बताया जाएगा।
80 हजार लोग प्रभावित
अगर एलिवेटेड रोड के कारण तय दुकानों को तोड़ा जाता है तो करीब अस्सी हजार लोग प्रभावित होंगे। यह लोग इन दुकानों, मकानों के मालिक और वहां काम करने वाले मालिक व कर्मचारियों के परिवार है। यह भी सरकार की ओर से करवाए गए सर्वे में स्पष्ट हो रहा है। जो दुकानें तोड़ी जाएगी, वहां भविष्य में न तो दुकान बन सकेगी और न ही मकान। ऐसे में अस्सी हजार लोगों को दरबदर करने का प्रयास हो रहा है।
अरबों रुपए का आर्थिक नुकसान
कोई भी मकान, दुकान राष्ट्र की संपत्ति है। अगर फोर लेन के लिए इनको तोड़ा जाता है तो यह राष्ट्रीय सम्पत्ति का नुकसान भी है। एक अनुमान के मुताबिक अरबों रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास हो रहा है। जितनी बड़ी समस्या नहीं है, उससे बड़ी परेशानी स्वयं सरकार पैदा करने पर आमादा है।
मंदिरों पर चलेगी जेसीबी
तय कार्ययोजना के तहत कई मंदिर भी इसकी जद में आ रहे हैं। पहले भी भाजपा सरकार ने जयपुर में मंदिरों को तोड़कर सड़कों को चौड़ा करने का प्रयास किया था और बाद में फिर से मंदिर बनाने पड़े। इस योजना में भी कई मंदिरों को तोड़ा जा सकता है। धार्मिक भावनाओं को आहत करने के सरकारी प्रयास का हम विरोध करते हैं।
हेरिटेज लुक खत्म होगा
एलिवेटेड रोड बनाने के बाद से बीकानेर के ऐतिहासिक कोटगेट का वैभव खत्म सा हो जाएगा। आज जो कोटगेट सार्दुल सिंह सर्किल से नजर आता है, वो फड़बाजार से ही नजर आएगा। इतना ही नहीं बीकानेर को आधुनिक बनाने वाले महाराजा सार्दुल सिंह की सर्किल भी इसी ऐलिवेटेड रोड की भेंट चढ़ जाएगा। इसे भी हटाया जाएगा। न सिर्फ राजपूत बल्कि बीकानेर के समुचे समाज के लिए सार्दुल सिंह जी के प्रति निष्ठा है जो आहत होगी।
कोटगेट के अंदर समस्या यथावत
सरकार यह बताने का कष्ट करें कि आखिर इस एलिवेटेड रोड से शहर के भीतरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की समस्या का समाधान कैसे हो रहा है? उसे तो कोटगेट के भीतर से आकर फिर राजीव गांधी मार्ग होकर एक लंबे रास्ते से पब्लिक पार्क या फिर पीबीएम अस्पताल जाना होगा। यह सुविधा के लिए हो रहा है या फिर दुविधा के लिए। अगर यहां अंडर बाइपास भी बनाया जाता है तो फिर समस्या वैसे ही खत्म हो जाएगी। क्रासिंग के नीचे से एक अंडर बाइपास बन सकता है जो पूर्व में जोधपुर जयपुर सहित कई शहरों में बना हुआ है। वर्षा के दिनों में जल निकासी की व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा।
वार्ता में उमेश मेहंदीरत्ता, प्रेम खंडेलवाल सहित एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद थे।