Vikas Dubey Encounter

OmExpress News / New Delhi / कानपुर एनकाउंटर के मुख्य आरोपी विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह से महज 24 घंटे के भीतर उसका फिल्मी अंदाज में एनकाउंटर हुआ, उसने पुलिस महकमे पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद यूपी पुलिस चौतरफा सवालों के घेरे में है और उसके लिए सवालों का जवाब देना मुश्किल हो रहा है। (Vikas Dubey Encounter)

विपक्ष से लेकर फिल्म जगत की तमाम हस्तियों तक ने इस एनकाउंटर पर सवाल खड़ा करते हुए इसे पूर्व सुनियोजित एनकाउंटर तक कह डाला है। दरअसल गुरुवार को जब विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल के मंदिर से गिरफ्तार किया गया उसी समय से इस पूरी गिरफ्तारी को लेकर सवाल खड़ा हो रहा था।

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महाकाल मंदिर में पकड़ा गया विकास

विकास दुबे मध्य प्रदेश के महाकाल मंदिर में बकायदा पर्ची कटवाकर वहां दर्शन करने जाता है और उसे वहां सुरक्षागार्ड पकड़ लेते हैं। इसके बाद से ही विकास दुबे की पटकथा चलती रही। मध्य प्रदेश और यूपी पुलिस इसको लेकर अलग-अलग बयान देती रही। लेकिन जब यूपी पुलिस विकास को मध्य प्रदेश से कानपुर ला रही थी, इसी दौरान विकास दुबे जिस कार में सवार था उसका एक्सिडेंट हो गया।

पुलिस का दावा है कि एक्सिडेंट के बाद विकास पुलिस की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश कर रहा था, तभी एनकाउंटर में विकास की मौत हो गई।

निकला टाटा सफारी स्टॉर्म में, पलटी टीयूवी-300

लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि जिस गाड़ी का एक्सिडेंट हुआ, वह महिंद्रा की टीयूवी कार थी, जिसे तस्वीरों में और वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि वह घटना स्थल पर पलटी हुई है। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार विकास दुबे को टाटा सफारी स्टॉर्म कार से ले जाया जा रहा था।

इसका फुटेज भी मौजूद है, यहां तक कि टोल प्लाजा के पास जो वीडियो फुटेज रिकॉर्ड हुआ है, उसमे भी देखा जा सकता है कि विकास दुबे टाटा सफारी में बैठा नजर आ रहा है। ऐसे में यह कैसे मुमकिन है कि घटना स्थल पर जो कार पलटी वो टीयूवी-300 थी और दावा है कि विकास दुबे इसी कार में बैठा था।

कोई गाड़ी बीच में बदली नहीं गई है : कानपुर रेंज आईजी

वहीं जब इस बाबत कानपुर रेंज आईजी मोहित अग्रवाल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मेरी जो बातचीत हुई है पुलिसकर्मियों से, ये (विकास दुबे) उज्जैन से इसी गाड़ी में बैठा था, जिस गाड़ी में उसका एक्सिडेंट हुआ था, कोई गाड़ी बीच में बदली नहीं गई है। वह उसी गाड़ी में उज्जैन से चला था, जिस गाड़ी में उसका एक्सिडेंट हुआ था।

कानपुर के एडीजी जेएन सिंह ने इस पूरी घटना के बारे में विस्तार से बताया है। अहम बात यह है कि खुद जेएन सिंह घटनास्थल पर मौजूद थे। उनका कहना है कि सड़क किनारे गैप ज्यादा था, जिसकी वजह से गाड़ी फिसल गई, इसी दौरान विकास पिस्टल छीनकर भागने लगा।

जब पुलिस ने उसे घेरने की कोशिश की तो उसने पुलिस पर ही फायरिंग शुरू कर दी। जिसके बाद पुलिस को जवाबी फायरिंग करनी पड़ी। एडीजी ने बताया कि विकास विवेचक पचौरी की पिस्टल लेकर भाग रहा था।

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सुरक्षा में किसी तरह की नहीं थी कोई कमी

एडीजी ने बताया कि विकास दुबे को एसटीएफ के डिप्टी एसपी के नेतृत्व में कानपुर लाया जा रहा था, उनके साथ कमांडो भी थे, साथ ही कई सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे। विकास की सुरक्षा में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी।

इसी वजह से पुलिस ने तत्काल घेरेबंदी करके यह कार्रवाई की। बहरहाल दिलचस्प बात यह भी है कि घटनास्थल से कुछ दूर पहले ही रास्ते को रोक दिया गया था। हाइवे पर बैरिकेडिंग लगा दी गई, जिसके कुछ देर बाद पता चला कि विकास दुबे का एनकाउंटर हो गया है।

कमलनाथ ने ये सवाल सरकार से किए हैं-

जिस दुर्दांत अपराधी को पुलिस की 40 टीमें खोज रही हो वो इनामी बदमाश सुरक्षित यूपी रजिस्टर्ड कार से उज्जैन तक कैसे पहुँच गया?

वो उज्जैन कितने दिन रहा, किसके संरक्षण में रहा ? उसके साथ कितने साथी थे, वो कहाँ है?

महाकाल मंदिर में वो कैसे बेख़ौफ टहलता रहा, उसकी मंदिर की तस्वीरें किसने वायरल की?

सावन का माह चल रहा है , महाकाल मंदिर हाई अलर्ट पर है। ऐसे में इतना दुर्दांत अपराधी महाकाल मंदिर की सुरक्षा को कैसे भेद कर मंदिर में आसानी से प्रवेश पा गया?

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यह तो सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह है कि इतना दुर्दांत अपराधी ख़ुद अपना परिचय देकर इतनी आसानी से सरेंडर कैसे कर गया?

इतने बड़े अपराधी की जानकारी लगने के बाद इसे पकड़ने आई पुलिस के पास सुरक्षा की दृष्टि से हथियार तक नहीं?

सावन मास के बावजूद एक दिन पूर्व पुलिस अधिकारियों का अचानक तबादला ?

आखिर कौन सा ऐसा राजनैतिक संरक्षण उसे प्राप्त था, जिसके कारण यह सब इतनी आसानी से संभव हुआ?

इन सवालों का सच सामने आना ही चाहिये क्योंकि इस घटना ने हमारे प्रदेश को देश भर में एक बार फिर शर्मशार किया है। सरकार इन सवालों का जवाब दे।