पद्मश्री कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का निधन
पद्मश्री कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का निधन
पद्मश्री कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का निधन

पॉलिटिकल कार्टूनिस्ट के रूप में बनी विशेष पहचान
बीकानेर। कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग के निधन से मरुनगरी में भी शेाक की लहर सी दौड़ गई। ब्रेन कैंसर से पीड़ित 52 वर्षीय तैंलग ने शनिवार को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार मयूर विहार दिल्ली में होगा। तैलंग को कार्टून क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए 2004 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।

तैलंग के भतीजे अमित गोस्वामी ने बताया कि 26 फरवरी 1960 को बीकानेर में जन्में सुधीर का हमेशा से ही यंहा की समस्याअेां व लोगों से जुड़ाव रहा। वे बीकानेर से दूर रहते हुए स्थानीय समस्याअेां को समय समय पर राजधानी में अपने कार्टूनों से उठाते थे।

उन्होने बताया कि महज दस साल की उम्र में ही यंहा पर कार्टून बनाना शुरु किया और यही से शुरु हेा गया उनका सफर। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1982 में की और 6 से अधिक प्रतिष्ठित समाचार पत्रों को अपनी सेवां
ए दी। जिसमें इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया, मुंबई, 1983 में दिल्ली में नवभारत टाइम्स के साथ टाईम्स ऑफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स शामिल है। इनमें नियमित रुप से जनसमयाअेां के साथ साथ राजनीति से जुड़े कार्टून भी दिए। उन्होेने बताया कि नो, प्राइम मिनिस्टर शीर्षक से अपनी पुस्तक भी लांच की थी जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जुड़े कार्टून्स की श्रृंखला शामिल थी।
भुजिया, कचौरी और चाय पटटी की चाय के दीवाने
बीकानेर शहर की कचौरी, चाय पटटी और मिठाई के दीवने सुधीर तैलंग का बचपन का अधिकतर समय यंही पर व्यतीत हुआ। उनके साथी रंगकमी ज्ञान गोस्वामी ने बताया कि स्कूल के समय से ही कार्टून बनाने का शेाक रहा और यंहा पर छोटे छोटे जोक बनाकर उनके कार्टून बनाना उनकी आदत में रहा। दूर रहते हुए भी यहंा की समस्याअेंा को लेकर हमेशा से ही अग्रण्ीय भूमिका में रहे। शहर के रेल फाटक, बीकानेर-दिल्ली रेल सेवा, वायु सेवा इत्यादि समस्याअेंा केा लेकर दिल्ली में कार्टून के माध्यम से इनको उठाया। इसके साथ ही जनलोकपाल हो या राजनीति से बड़ी कोई घटना उनसे बच नही पाती थी वे हर पल अपने कार्टून में नया कर लोगांे के सामने प्रस्तुत करने में माहिर थे। गोस्वामी बतातें है कि स्कूली समय में भी उनका अधिकतर समय कार्टून बनाने में ही बीत जाया करता था। कार्टून के साथ साथ चाय पटटी की चाय और कचौरी को भी वे कभी नही भूलते थे।