बीकानेर। ‘दमयन्ती की दुनिया’ पुस्तक का लोकार्पण टी. एम. लालाणी, डॉ. किरण नाहटा, डॉ. ए. के. गहलोत एवं साहित्यकार बुलाकी शर्मा के कर कमलों से संयुक्त रूप से किया गया। समारोह का शुभारम्भ मां सरस्वती के चित्र को माल्यार्पण करके एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। स्वागत भाषण डॉ. डी. आर. छलाणी ने किया। दमयन्ती की दुनिया की लेखिका का परिचय देते हुए जतनलाल दूगड़ ने कहा कि बक्सी परिवार में कोलकता महानगरी में जन्मी व डॉ. धनराज छलानी की धर्मपत्नी श्रीमती नयनतारा छलानी ने राजनीति शास्त्र में एम. ए. किया है। सार्वजनिक जीवन में श्रीमती छलानी तेरापंथ महिला मण्डल की परामर्षिका, आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान की कार्यकारिणी सदस्या, करुणा इण्टरनेषनल की उपाध्यक्षा, जैन कन्या महाविद्यालय की उपाध्यक्षा, इनरव्हील की चार्टर प्रसीडेण्ट, रोटरी क्लब बीकानेर की सक्रिय सदस्या है। लेखक व चिन्तक के रूप में श्रीमती छलानी ने पूर्व में शाकाहार के सम्बन्ध में ’संतुलित स्वास्थ्य’ एक पुस्तक व विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में सम्पादकीय विषयों पर लेखन किया है। दूगड़ ने कहा कि बीकानेर एक साहित्यिक नगरी है, यहां अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाषन होता है। उसमें लेखन कार्य से लेखन की कला में श्री वृद्धि होती है। श्रीमती नयनतारा छलाणी पिछले तीन वर्षों से थार एक्सप्रेस पाक्षिक समाचार पत्र में निरन्तर लिखे जा रहे स्तम्भों के कथानकों को पुस्तकाकार प्रदान कर साहित्य जगत की सदस्या बन गयी है।
पुस्तक पर पत्रवाचन करते हुए हरीष बी. शर्मा ने कहा कि स्त्री चाहकर भी उतना नहीं लिख सकती जितना वह जानती है। लेखिका ने लेखन में बचाव भी किया है पर उनका लेखन बहुत सधा हुआ है। उन्होंने कहा कि दमयन्ती की दुनिया में पाठकों के मन की बात की गई है। हरीष ने कहा कि शहर को एक नया कथाकार मिल गया है।
मुख्यवक्ता बुलाकी शर्मा ने कहा कि निरन्तर स्तम्भ लेखन दुष्कर कार्य है। नयनतारा छलाण्ी ने थार एक्सप्रेस में निरन्तर लिखकर निष्चय ही महत्वपूर्ण कार्य किया है। शर्मा ने नल व दमयन्ती की कथा का विवेचन करते हुए कहा कि दमयन्ती शीर्षक चुनने का कारण यही है कि दमयन्ती अपने समय की दाठीक महिला थी। पुस्तक पर विवेचना करते हुए शर्मा ने कहा कि पुस्तक में गहनपन है, चुटीलापन है, व्यंग्य भी है तो टेलिविजन में आने वाली सीरियलों की सी कथाऐं है। लेखिका ने एक तरफ गांधी की तस्वीर की बात कहते हुए भ्रष्टाचार पर तीखी चोट की है तो दूसरी तरफ उतराखण्ड त्रासदी पर संवेदना में भगवान से भी कहा है कि रिमझिम बरसात ही काफी थी। झाड़ूवाद, वेलेन्टाइन डे, डिसिप्लिन एवं एण्टी डोज जैसी रचनाओं से तीखे व्यंग्य भी किये हैं। बुलाकी शर्मा ने कहा कि बीकानेर साहित्य जगत का भविष्य उज्ज्वल है।
टोडरमल लालानी ने कहा कि दमयन्ती एक उपेक्षित चरित्र नहीं है। वह एक दृढ़ व चरित्र सम्पन्न चरित्र है। लेखक ने दमयन्ती को नायिका बनाकर सामाजिक व पारिवारिक हर पहलू पर बहुत सहज व सरल तरीके से अपनी बात रखी है। लालानी ने कहा कि श्रीमती छलाणी ने अच्छा लिखा है मगर महिला वाला संकोच भी रखा है। उन्होंने एक महिला के साहित्य जगत में प्रवेष का स्वागत किया।
डॉ. अजयकुमार गहलोत ने कहा कि नयनतारा छलाणी ने यह साबित किया है कि हर उम्र में लेखन सम्भव है। इन्होंने महिला की मनःस्थिति का सटीक चित्रण किया है। गहलोत ने कहा कि पुस्तक में प्रत्येक विषयों के शीर्षक बहुत अच्छे दिये गये हैं। इन्हें देखकर ही पूरे कथानक को पढ़ना मजबूरी हो जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में सोषल मीडिया व एस.एम.एस. की तर्ज पर भाषा का अल्पीकरण कर ’लोग क्या कहेंगे’ को एल के के जैसे शीर्षक आकर्षण का विषय है। गहलोत ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस, अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस जैसे विषयों पर कटाक्ष बहुत सारगर्भित है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कहा जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक सफल नारी का हाथ होता है उसी प्रकार छलानी दम्पति ने यह साबित कर दिया है कि हर सफल औरत के पीछे भी सफल पुरुष का हाथ होता है।
विशेषज्ञ टिप्पणी करते हुए पत्रकार एवं रंगकर्मी मधु आचार्य ने कहा कि दमयन्ती की दुनिया पुस्तक का केनवास बहुत बड़ा है। यह कृति स्त्री विमर्ष तक सीमित नहीं है। लेखिका ने भ्रष्टाचार, असहिष्णुता, राजनीति जैसे अनेक विषयों पर लिखा है। इस पुस्तक में भाषा शैली, संवेदना तथा समझ में व्यंग्य की धार पैनी है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. किरण नाहटा ने कहा कि नयनतारा की पुस्तक में व्यंग्य व कथा का सुन्दर समन्वय है। उन्होंने कहा कि भारतीय महिला की शैली समन्वय की रही है। वह पिता, पुत्र, सास, श्वसुर, पति सबके साथ समन्वय बना कर चलती है। नाहटा ने कहा कि दमयन्ती की दुनिया मध्यमवर्गीय परिवारों को ध्यान में रखकर लिखी गई है। रिष्तेदारों के साथ व्यवहार एवं समाज में चल रहे आडम्बरों पर तीखा प्रहार भी किया गया है।
श्रीमती नयनतारा छलाणी ने अपने पिता का पूरे परिवार का आभार व्यक्त किया तथा अपनी पुस्तक के बारे बताया कि वर्तमान परिवेष को लेकर यह पुस्तक तैयार की गई है।
जैन लूणरकरण छाजेड़ ने कहा कि मुझे आज खुषी है कि थार एक्सप्रेस में लिखने वाले चौथे स्तम्भकर की पुस्तक का लोकार्पण हुआ है। साहित्यकार नयनतारा छलाणी के अन्दर उच्चकोटि का रचनाकार है। इन्होंने सामाजिक व्यवस्थाओं, कुरूढ़ियों, विडम्बनाओं, विसंगतियों और विद्रूपताओं को बहुत ही सलीके के साथ उजागर किया है। लेखक अमरत्व प्राप्त कर लेता है जिसको अमर होना हो वह लेखक बन जाएं। छाजेड़ ने कहा कि आमजन में बौद्धिक उत्साह होना बहुत आवष्यक है। अगर लोगों में बौद्धिक उत्साह ही समाप्त हो जायेगा तो सभ्यता का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा।
समारोह में अरूणप्रकाष गुप्ता ने कहा कि पिछले 40 सालो से नये चहरे आ रहे है। बड़े ही सकून की बात है कि बीकानेर में साहित्यकारों की संख्या बढ़ रही है। आभार ज्ञापन वैषाली छलाणी ने किया। सभी अतिथियों को स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। लेखिका नयनतारा छलाणी का आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान, करुणा इन्टरनेषनल, थार एक्सप्रेस एवं तेरापंथ महिला मण्डल की तरफ से शॉल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। लोकार्पण समारोह में डॉ. उषा किरण सोनी, कमल रंगा, नवनीत पाण्डेय, राजेन्द्र जोषी, सुनील गज्जाणी, आर. के. सुथार, अनिल महेष्वरी, प्रकाष छलानी, मनमोहन कल्याणी, सरल विषारद, पवन भोजक, श्री एवं श्रीमती हनुमानमल छाजेड़, डॉ. प्रेमसुख मरोटी, भंवरलाल डागा, डॉ. धीरज मरोटी, राजेन्द्र सेठिया, मूलचन्द डागा, किषन बैद, संतोष बोथरा सहित अनेक साहित्यकार, पत्रकार, परिजन एवं मित्रगण व स्वंयसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर करुणा इण्टरनेषनल बीकानेर केन्द्र द्वारा प्रकाषित करुणा डायरी का भी मंचस्थ अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया। संचालन जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया।