दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने एक बार फिर धार्मिक मामलों में दखल देते हुए विवादित निर्देश दिए हैं। हिंदू आस्था के केंद्र वैष्णो देवी के बाद अमरनाथ यात्रा पर निर्देश देते हुए एनजीटी ने मंत्रोच्चारण, जयकारों और घंटिया बजाने से पर्यावरण को खतरा पहुंचने की बात करते हुए इन पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। इस फैसले के साथ ही सोशल मीडिया पर इसका विरोध शुरु हो गया है। लोगों ने एनजीटी के आदेश को गैर जरूरी बताते हुए उसे राष्ट्रीय विरोधी करार कर दिया है।
वहीं इस पूरे मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है भाजपा ने इसे ऐंटी-हिंदू अजेंडा करार दिया है। पार्टी के दिल्ली प्रदेश के प्रवक्ता तेजिंदर पाल बग्गा ने कहा कि जिस तरह से एनजीटी के बयान हिंदुओं के खिलाफ आते हैं, हम उसके विरोध में हैं। अब अमरनाथ यात्रा को लेकर कहा गया है कि आप वहां जयकारे नहीं लगा सकते हैं आप वहां मंत्रोच्चार नहीं कर सकते हैं।
अमरनाथ यात्रा के दौरान जयकारों पर रोक- एनजीटी ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड को निर्देश जारी किया है कि यात्रा के दौरान आखिरी चेक पोस्ट के बाद मोबाइल फोन ले जाने पर पाबंदी लगाई जाए। साथ ही यात्रा के दौरान भगवान शिव के लिए लगाए जाने वाले जयकारों पर भी रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि श्राइन बोर्ड इस बात की व्यवस्था करे कि यात्री अपना सामान सुरक्षित रूप से रख सके।
वैष्णो देवी यात्रा पर भी जारी कर चुकी है निर्देश- एनजीटी ने आदेश जारी करते हुए माता वैष्णो देवी में एक दिन में सिर्फ 50 हजार यात्री ही दर्शन करने के निर्देश दिए थे। न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की पीठ ने यह स्पष्ट किया था कि तीर्थयात्रियों की संख्या तय संख्या 50,000 से अधिक होगी तो उन्हें अद्र्धकुंवारी या कटरा में रोक दिया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वैष्णो देवी भवन की क्षमता 50,000 से अधिक नहीं है और इससे अधिक लोगों को वहां जाने की अनुमति देना खतरनाक हो सकता है। एनजीटी के आदेश के खिलाफ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने उच्चतम न्यालय का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद उच्चतम न्यालय ने एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी थी।
कौन हैं जस्टिस स्वतंत्र कुमार- 20 दिसंबर, 2012 को एनजीटी के प्रमुख का पदभार संभालने वाले जस्टिस स्वतंत्र कुमार 19 दिसंबर, 2017 को रिटायर होने वाले हैं। इससे पहले वह सुप्रीम कोर्ट और पंजाब ऐंड हरियाणा हाई कोर्ट, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट में जज रहे। बॉम्बे हाई कोर्ट में तो वह चीफ जस्टिस रह चुके हैं। स्वतंत्र कुमार 12 जुलाई, 1971 में दिल्ली बार काउंसिल में एडवोकेट के तौर पर शामिल हुए।