गौड़ी पाश्र्वनाथ में भक्ति संगीत के साथ पूजा व प्रसाद
गौड़ी पाश्र्वनाथ में भक्ति संगीत के साथ पूजा व प्रसाद
गौड़ी पाश्र्वनाथ में भक्ति संगीत के साथ पूजा व प्रसाद
बीकानेर । चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में सकलश्री संघ के सहयोग से कार्तिक पूर्णिमा पर निकली भगवान की सवारी का पड़ाव गुरुवार को गोगागेट के पास स्थित गौड़ी पाश्र्वनाथ में रहा। गौड़ी पाश्र्वनाथ में भक्ति संगीत के साथ पूजा की गई । पूजा के बाद हुए सामूहिक प्रसाद में विभिन्न जैन समुदाय के श्रावक-श्राविकाओं ने भागीदारी निभाई । भगवान की सवारी शुक्रवार को सुबह साढ़ नौ बजे गौड़ी पाश्र्वनाथ से रवाना होकर गंगाशहर रोड, स्टेशन रोड, लाभुजी का कटला, कोटगेट, ठठेरों का मोहल्ला से निकलते हुए जैन बहुल्य मोहल्लों से होते हुए वापस भुजिया बाजार के चिंतामणि जैन मंदिर पहुंचेगी।
गाजे बाजे से निकलने वाली सवारी में वीर मंडल, महावीर मंडल, पाश्र्वजैन मंडल, आदिश्वर मंडल, गौतम मंडल, कोचर मंडल, जैन मंडल आदि भजन मंडलियां जैन चौक व मोहल्लों में पड़ाव रखकर फिल्मी व राजस्थानी गीतों की तर्ज पर आधारित भक्ति गीत पेश करेंगे । भजन मंडलियों तथा सवारी में शामिल श्रावकों को अनेक स्थानों पर अल्पहार आदि से सत्कार किया जाएगा।
चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल ने बताया कि सवारी में चांदी का खासोजी, कल्पवृक्ष, चांद सूरज, भगवान महावीर के जीवन आदर्शों से संबंधित चित्र, इन्द्र ध्वजा आदि शामिल होंगे। गुरुवार को हुए सामूहिक प्रसाद में जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ, पाश्र्वचन्द्र गच्छ, तपागच्छ, तेरापंथ, साधुमार्गी जैन संघ, शांतक्रांत संघ के श्रावक-श्रावकाएं शामिल हुए ।
पारस मुनि का विहार , साधु तो रमता भला, दाग न लागै कोय  
 शांत क्रांत संघ के विद्वान पारस मुनि व अभिनंदन मुनि ने चातुर्मास पूर्ण कर गुरुवार को मरोठी सेठिया मोहल्ले के नवकार भवन से जुलूस के साथ विहार किया। विहार से पूर्व हुए विदाई समारोह में श्रावक-श्राविकाओं ने विचार व गीतिका के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।
पारस मुनि ने प्रवचन में कहा कि सच्चा साधु किसी श्रावक-श्राविका से राग-द्वेष, मोह नहीं रखता । वह स्वयं आत्म कल्याण के लिए पुरुषार्थ करता है तथा दूसरों को भी प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि बहता पानी निर्मला, पड़ा गदेला होए, साधु तो रमता भला, दाग न लागै कोय । अभिनंदन मुनि ने कहा कि बिना पुरुषार्थ के प्राणी का न लौकिक न लौकेतर जीवन सफल बनता है। केवल पुण्य के द्वारा ही हमें प्राप्ति हो जाएगी ऐसा सोचना अज्ञानता है। बिना पुरुषार्थ के पुण्य खिलता नहीं। पुणवानी तो हमारी है तभी हमें आर्य क्षेत्र, उत्तम जाति, कुल, आयु, पांच इंद्रियों की स्वस्थता, निरोग काया प्रभु की वाणी का श्रवण, धर्म व श्रद्धा की प्राप्ति हुई है। अगर हम जीवन में सत, पुरुषार्थ नहीं करेंगे तो फिर मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो पाएगी। इसलिए भगवान ने मोक्ष के चार रास्ते सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, चारित्र व तप बताएं है। उतम चारित्र व संयम बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती चाहे हमारे पास तप का खजाना हो या ज्ञान व दर्शन हो।
विदाई समारोह में वरिष्ठ श्रावक मेघराज सेठिया, नगर विकास न्यास के पूर्व अध्यक्ष सोमचंद सिंघवी, निधि सोनावत, मीना दस्साणी, शारदा देवी पारख, कलाबेन पुगलिया आदि ने विचार व्यक्त किए। शांत क्रांत संघ महिला मंडल की अध्यक्ष उमराव देवी दस्साणी व मंत्री कला देवी के नेतृत्व में महिलाओं ने संघ के गणवेश में म्है तो नित उठ भावना भाउ हो महाराज सा, आओ म्हारे आंगणिए आदि भक्ति व विदाई गीत पेश किए। मुनिवृंद शुक्रवार को कोठारी अस्पताल के पास तातेड़ निवास में प्रवास करेंगे तथा उसके बाद समता नगर जाएंगे।
मुनिश्री मनोज्ञ सागर का दीक्षा दिवस 
 जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के मुनिश्री मनोज्ञ सागर का दीक्षा दिवस शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे गंगाशहर मार्ग की रेल दादाबाड़ी में मनाया जाएगा। गुणनुवाद सभा होगी तथा भक्ति गीतों का आयोजन होगा। मुनिश्री के सान्निध्य में चल रहे उपधान तप के अंतिम चरण में गुरुवार को प्रदेश के विभिन्न इलाकों से आए श्रावक-श्राविकाओं ने मंगल कामना की।