ओमएक्सप्रेसन्यूज बीकानेर। सामायिक समता की साधना है तथा एक मुहूर्त तक सामायिक करने वाले व्यक्ति को दो करण तीन योग से पापकार्य न करने का संकल्प करना पड़ता है। यह बात मुनिश्री गिरीशकुमारजी ने शनिवार को सायं तेरापंथ भवन में आयोजित ‘अभिनव सामायिक कार्यक्रम में उपस्थित विशाल जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कही। शासनश्री मुनिव्रतजी के सान्निध्य में आयोजित इस अभिनव सामायिक में हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने एक घण्टे तक पापकार्यों से निवृत होकर मुनि जैसा जीवन जिया। आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि आचार्य तुलसी ने अपने जीवन-में नवाचार बहुत किए उनमें ‘अभिनव सामायिक भी एक था जिसका शुभारम्भ 1989 में किया। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी के जीवन का पसन्दीदा अन्तिम कार्यक्रम ‘अभिनव सामायिक जून 1997 में सुबह तेरापंथ भवन, गंगाशहर में ही हुआ था।
महामंत्री जतनलाल दूगड़ ने बड़ी स्क्रीन पर आचार्य तुलसी के द्वारा करवायी गई अभिनव सामायिक की सीडी के माध्यम से सामायिक प्रक्रिया सम्पन्न करवायी जिसमें आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ एवं आचार्य महाश्रमण जी ने अलग-अलग भाग में सामायिक करवायी। आचार्य तुलसी ने जप व स्वाध्याय तथा आचार्य महाप्रज्ञ ने ध्यान व आचार्य महाश्रमण जी ने समायिक का आलोचन पाठ करवाया। इस तरह से तीन गुरूओं के द्वारा करवायी गयी सामायिक से उपस्थित श्रावक समाज अभिभूत हो गया। इस सामायिक में गंगाशहर, भीनासर, बीकानेर, नोखा, बालोतरा, पंचपदरा, जसोल, अहमदाबाद, पारलू के श्रावक भी शामिल हुए। इस अभिनव सामायिक के लिए तेरापंथ भवन व शक्तिपीठ पर विराजित चारित्रात्माओं के साथ ही साध्वीश्री मधुरेखाजी, शासनश्री कमलप्रभाजी, शासनश्री गुणमालाजी एवं बीकानेर लालकोठी तथा तुलसी साधना केन्द्र में विरोजित साध्वीवृन्द ने श्रावक-श्राविकाओं को प्रेरणा करने का श्रम किया।
तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद, कन्या मण्डल, किशोर मण्डल, अणुव्रत समिति के सदस्यों का सहयोग रहा। मंगलपाठ मुनिश्री मुनिव्रत जी ने सुनाया तथा मुनिश्री शान्तिकुमारजी व मुनिश्री श्रेयांस, मुनिश्री विनीतकुमारजी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में राजेन्द्र बोथरा ने सामायिक गीत का सुमधुर संगान किया।
सामायिक के बाद ‘तुलसी गाथाÓ आचार्य तुलसी की जीवन झांकी दिखाई गई। ऐसा लग रहा था जैसे आचार्यश्री तुलसी स्वयं जीवन्त स्थिति में परिदृश्य होकर लोगों को दर्शन देकर परितृप्त कर रहे हैं।