बिहार के हिन्दी और उर्दू के कई अखबारों के पत्रकार / गैर पत्रकार मजीठिया वेतन की लडाई लड़ रहे है । पटना उच्च न्यायालय के साथ ही पटना के श्रम न्यायालय मे भी कई मुकदमे चल रहे हैं ।लगभग 200से ज्यादा मामले बिहार के श्रम न्यायालय के पीठासीन पदाधिकारी के यहां लम्बित है ।
बिहार प्रेस मेन्स यूनियन इस लडाई मे अग्रणी भुमिका निभा रहा है। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष एवं वरीय पत्रकार एस एन श्याम ने आज अखबार के खिलाफ क्र.ष्ट_ 09/2018 के तहत मुकदमा दायर कर रखा है। श्री श्याम के पहल पर बिहार विधान परिषद की निवेदन समिति इस मामले मे सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के माध्यम से राज्य सरकार को नोटिश भेजा है।परंतु,राज्य सरकार कांन मे तेल डालकर सोई है ।बिहार सरकार पत्रकारो/ गैर पत्रकारो / कामगारों के श्रम हित की रक्षा करने के बजाय अखबार मालिको को संरक्षण देने पर आमदा है।
राज्य के श्रम मन्त्री ने 31जुलाई को अखबार मालिकों की गुप्त बैठक बुलाई। इसकी जानकारी होते ही 30जुलाई को देर रात खुद उनके मोबाइल पर बात की।श्रम मन्त्री विजय कुमार सिन्हा ने स्वीकार किया की बैठक बुलाई गई है।हमने कामगारों की बात सुनने की गुजारिश की।मन्त्री जी ने कोई संतोषजनक उत्तर नही दिया।आज अखबार मालिको की बैठक के पहले ही 100से ज्यादा पत्रकारो/ गैर पत्रकारोँ/कामगारों ने श्रम मंत्रालय मे श्रम मन्त्री के कार्यालय को घेर लिया ।विवश मन्त्री ने लगभग 2घण्टे तक सबको सुना ।
हिन्दुस्तान के रिटायर्ड पत्रकार दिनेश सिंह ने श्रम मन्त्री की खिचाई की।उन्होने कहा की जब मजीठिया मामला न्यायालय मे है तो सरकार कोई पहल नही कर सकती है।अखबार मालिको से बात करने का राज्य सरकार को कोई अधिकार नही है।बिहार प्रेस मेन्स यूनियन के अध्यक्ष एवं वरीय पत्रकार एस एन श्याम ने मन्त्री को आगाह किया की और चुनौती देते हुये कहा की वे गलत कर रहे है।अखबार मालिको के साथ इस तरह की वार्ता न्यायालय की अवमानना है।
इसके लिये उनपर सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना का मुकदमा चल सकता है।इस दरम्यान वार्ता मे मौजुद बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव प्रेम कुमार ,एन यू जे के कृष्ण कान्त ओझा ने श्री श्याम के विचारो का समर्थन किया ।इस वार्ता मे श्रम मंत्रालय के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ,बिहार के श्रम आयुक्त श्री गोपाल मीणा एवं संयुक्त श्रम आयुक्त श्री वीरेंद्र कुमार भी मौजुद थे ।