havan ki purnahuti
ओम एक्सप्रेस न्यूज. बीकानेर। डागा मौहल्ला स्थित नवकर्ण भैरव धाम में भैरव जी का पाटोत्सव महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। सर्वप्रथम प्रात: 10 बजे नवकर्ण भैरव जी का शुद्धिकरण पूजन किया गया। इसके बाद पं.गोपाल ओझा व महन्त गिरधर बिस्सा के सानिध्य में वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा भैरव पाठ व भैरव जी का गंगाजल, केशर, दूध, दही व शहद मिश्रित पंचामृत से अभिषेक किया गया।

तत्पश्चात् हवन का आयोजन किया गया जिसमें श्रीनारायण आचार्य व चंचल व्यास ने सपत्निक पूजन किया। हवन में अनेक श्रद्धालुओं ने आहूतियां दी और पूर्णाहूति के बाद आरती की गई। इस अवसर पर पूरे मौहल्ले को रंगबिरंगी रोशनियों से सजाया गया और भैरव जी का विशेष श्रीनाथ जी स्वरूप श्रृंगार किया गया। सांय को महाआरती हुई जिसमें हिन्दू जागरण मंच के जेठानन्द व्यास, पं.ग्वालदत्त व्यास, हरिशंकर व्यास, कन्हैयालाल कल्ला, चांद भा श्रीमाली, विनोद पुरोहित, गणेश आचार्य, रामकुमार व्यास, गिरीराज पुरोहित, शिवशंकर पुरोहित, विष्णु व्यास, दाउलाल पुरोहित, अनिल बिस्सा, महेश व्यास, सन्दीप गग्गड़, अशोक रंगा, आजाद पुरोहित सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे। तत्पश्चात् महाप्रसादी का आयोजन हुआ।

52 भैरव स्वरूपों में 37वां भैरव नवर्कण भैरव है और भारत का पहला मन्दिर

कार्यक्रम में भैरव उपासक पं.लालजी किराड़ू ने भैरव के इस रूप का वर्णन करते हुए बताया कि 52 भैरव स्वरूपों में 37वां भैरव नवर्कण भैरव है और भारत में यह पहला मन्दिर है। इनके चार हाथ है, आंखे बड़ी, चेहरा गोल व सिर पर आड निकली हुई है। इनके कान बड़े है और कान में और ह्रदय में ओम् लिखा हुआ है। चारों हाथों में डोरी, फरसा, चक्र और गदा धारण किए हुए है। पांव में घूंघरू व जूती पहनी हुई है।

पास में काले रंग का स्वान स्थित है। इनका कद 6 फुट के करीब है। मान्यता है कि भैरव के इस रूप को गुलाब जल में केशर मिलाकर स्नान करना बेहद पसन्द है । इसलिए जो भक्त इनका केशर मिश्रित गुलाब जल से अभिषेक के साथ केशर मिश्रित मिठाई का भोग लगाएगा उसके सारे कष्ट स्वत: ही समाप्त होते जाएंगे। नवकर्ण भैरव के कान में अपनी मनोकामना बोलने से शीघ्र मनोकामना पूर्ण होती है।