![Ramratan Kochar's 34th Death Anniversary](http://omexpress.in/wp-content/uploads/2016/03/ram-ratan-kochas-34th-death-anniversary.jpg)
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19वां रामरतन कोचर साहित्य पुरस्कार डॉ. किरण नाहटा को
19वां रामरतन कोचर साहित्य पुरस्कार डॉ. किरण नाहटा को दिया गया। डॉ. नाहटा का रायबहादुर कोचर ने अभिनन्दन किया, डॉ. बी.डी. कल्ला ने श्रीफल व पुरस्कार स्वरूप 11 हजार रुपए की राशि भेंट की, संवित् सोमगिरि महाराज ने शॉल ओढ़ाया तथा कुलपति डॉ. चन्द्रकला पाड्या ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर डॉ. नाहटा ने कहा कि साहित्य का अर्थ सबके हित की बात करना है। साहित्य व्यक्ति पर असर करता है तथा संस्कारित करता है। सद्संस्कार हमें नानी-दादी की कहानियों से भी मिलते हंै और निश्चित ही स्व. कोचर को भी बचपन में सद्संस्कार मिले होंगे तभी सर्वधर्म के प्रति समभाव रखते हैं तथा छुआछूत या जात-पात का भाव उनमें कभी देखने को नहीं मिला।
दु:खों का करो स्वागत : पाड्या
स्व. कोचर की पुण्यतिथि के अवसर पर सम्बोधित करते हुए कार्यक्रम की मुख्य वक्ता कुलपति डॉ. चन्द्रकला पाड्या ने कहा कि पुण्यतिथि को सद्भावना दिवस के रूप में मनाना वाकई दिवंगत को एक सच्ची श्रद्धांजलि है। पाड्या ने कहा कि मनुष्य का आधे से अधिक समय नकारात्मकता में बीत जाता है। अच्छे कार्य व सकारात्मक सोच के साथ ऐसे आयोजन करने वालों को साधुवाद है कि जिन्होंने स्व. कोचर द्वारा बोए हुए संकल्प वृक्ष को संजोए रखा है। हमारा जन्म देने के लिए बना है न कि लेने के लिए। हमें जीवन के हर क्षण को ईश्वर का प्रसाद समझना चाहिए। दु:खों का स्वागत करना चाहिए। कष्ट हमारे जीवन के मील के पत्थर हैं। कष्ट आएगा तब ही हम दूसरों की तकलीफों की समझ पाएंगे। ईश्वर ने न तो किसी को पूरी तरह सुखी बनाया है और न ही पूरी तरह दुखी।
मजहब नहीं सिखाता….
पुण्यतिथि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि आज के दौर में स्व. कोचर के आदर्श एकदम सटीक साबित हो रहे हैं। साम्प्रदायिकता, छुआछूत, जात-पात जिनके लिए कोई मायने नहीं रखती थी। ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना’ पंक्तियां स्व. कोचर पर पूर्णत: चरितार्थ होती है। स्व. कोचर के पास यदि कोई प्रभाव, अभाव अथवा दुर्भाव किसी भी रूप में आता लेकिन उसके प्रति सहानुभूति व सेवा का भाव बराबर रहता। यही कारण था कि लोग उन्हें ‘भाईजी’ कह कर सम्बोधित करते थे। परोपकार व संस्कारों के भंडारण परिपूरित स्व. कोचर गरीबों के मसीहा थे। वे गरीब की धड़कन को जानते थे, जन-जन की पीड़ा को समझते थे तथा बीकानेर के प्रिय राजनेता थे।
ट्राइसाइकिलें व पोशाक वितरित की
स्व. कोचर की 34वीं पुण्यतिथि पर रामरतन कोचर स्मारक समिति के तत्वावधान में भवानीशंकर व्यास ‘विनोदÓ, हनुमान कॉमरेड, सींवरी चौधरी आदि ने 6 विकलांगों को ट्राइसाइकिलें तथा पाबू पाठशाला के विद्यार्थियों को पोशाक प्रदान की।
इन्होंने ने दी पुष्पांजलि
जयचन्दलाल डागा, श्रीराम रामावत, सहीराम दुसाद, चम्पकमल सुराना, बच्छराज कोठारी, जेठमल सुराना, रामप्रताप बिश्नोई, लूणकरण सामसुखा, प्रभा भार्गव, शान्तिलाल सेठिया, जतनलाल दूगड़, छोगाराम कस्वा, कमलनारायण पुरोहित, जियाउर रहमान, निर्मल कामरा, हंसराज सहारण, प्रकाश पुगलिया, डी.पी. पच्चीसिया, घेवरचन्द मुशरफ, नन्दू गहलोत, मोहन सुराना सहित अनेक जनों ने स्व. कोचर को पुष्पांजलि अर्पित की।