भूमि अधिग्रहण विधेयक किसानों को सशक्त बनाने के लिए : मोदी

 

भूमि अधिग्रहण विधेयक किसानों को सशक्त बनाने के लिए : मोदी
भूमि अधिग्रहण विधेयक किसानों को सशक्त बनाने के लिए : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के साथ “मन की बात” के दौरान विपक्षी दलों पर किसान को भ्रमित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहाकि, भूमि अधिग्रहण कानून में प्रस्तावित बदलाव कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए है। मोदी ने किसानों से किसी के बहकावे में आकर गुमराह नहीं होने की अपील की है। 

उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि यह विधेयक उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए है और उनके हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक में किसान का मुआवजा चार गुना किया गया है, भूमि के बदले उसे मुआवजा तो मिलेगा ही उसे कॉरिडॉर बनने की स्थिति में अपने गांव में ही रोजगार मिलेगा और उसके एक बेटे को सरकारी नौकरी दी जाएगी। पुराने कानून में भूमि अधिग्रहण के संबंध में देश में प्रचलित ऎसी 13 बातों जिनमें सबसे ज्यादा जमीन ली जाती है, को शामिल नहीं किया गया था जैसे रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग और खदान के काम। इन्हें बाहर रखने से इन 13 प्रकार के कामों के लिए जमीन लेने पर किसानों को वही मुआवजा मिलेगा जो पहले वाले कानून से मिलता था। 

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने नये अध्यादेश में इन 13 बातों को जोड़ दिया और सुनिश्चित किया कि जमीन भले रेलवे के लिए हो, भले राजमार्ग बनाने के लिए हो, लेकिन उसका मुआवजा भी किसान को चार गुना तक मिलना चाहिए। अगर अध्यादेश न लाया जाता तो किसान की जमीन तो पुराने वाले कानून से जाती रहती लेकिन उसको कोई पैसा नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर भ्रम फैलाना दुर्भाग्यपूर्ण है और इस तरह की कोशिश गांव और किसान को कमजोर करने के षड़यंत्र हिस्सा है। भूमि-अधिग्रहण कानून 120 साल पहले बना था और पिछले 60-65 साल से वही कानून चलाने वाले आज किसानों के हमदर्द बन कर आंदोलन चला रहे हैं। वही लोग 2013 में आनन-फानन में एक नया कानून लाए और किसान के हित में हमने भी उनका साथ दिया। कानून लागू होने के बाद हमें लगा कि किसान के साथ धोखा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कानून को लेकर राज्यों से भी आवाका आई। कानून को बने एक साल हो गया था लेकिन उस समय कांग्रेस शासन वाले महाराष्ट्र और हरियाणा के अलावा कोई राज्य कानून लागू करने को तैयार ही नहीं था इसलिए सरकार को लगा कि इस कानून की खामियों को बदल कर इसमें सुधार करना चाहिए। सरकार को लगा कि यह कानून पिछली सरकार ने आनन-फानन में बनाया और इसमें कुछ कमियां रह गई हैं इसलिए कमियों को दूर करने की कोशिश की गई।