रामसा पीर की नगरी में ‘जन्में राम’, गूंजी रामधुनें

रामदेवरा। विश्वास रूपी राम का प्राकृट्य हो इसके लिए हद्य रूपी अयोध्या में भाव जगाने होंगे। प्रभु राम जन्म के प्रसंग से अलौकिक रामा पीर की नगरी रामदेवरा में मुरारी बापू की रामकथा के चौथे दिन चहुंओर बधाई गान गूंजे। जाट धर्मशाला के निकट स्थित रामकथा पाण्डाल में ‘‘आओं हरि आओ’’ जैसे भजन एवं चौपाइयों के साथ जब बापू ने प्रभु राम के जन्म का ऐलान किया तो पाण्डाल खुषी से भाव विभोर हो गया। कथा प्रसंग का ऐसा अनूठा नजारा बन पडा मानों रामा पीर की धरती पर राम ने फिर से जन्म लिया हो। परिवेश भी राममय हो गया। पाण्डाल में ‘‘प्रकट कृपाला दिन दयाला…, आज अवध में आनंद भयों…, जय रघुवरलाल की…’’ भजनों के साथ हजारों की संख्या में मौजूद भक्त एक साथ खडे होकर बधाइंया गाने लगे।

हम सभी अंशावतार है
मुरारी बापू ने मानस रामदेव पीर के प्रसंग को आगे बढाते हुए बताया कि बाबा पीर कृश्ण के, उनके बड़े भाई बलराम के तथा उनकी धर्मपत्नी रूकमणि का अवतार रही है। ग्रन्थों में लिखा गया है कि पीर बाबा का घोड़ा गरूड ही रहे है। रावण भी एक अवतार है और रामकृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। भागवतकाल में सूर्य एवं सौम्य वंश ही बताया गया है। अजमलजी पाण्डू वंश के, राघव सूर्यवंशी तथा रामदेव चन्द्रवंशी है। ईष्वर के रूप में हम सभी अंशावतार है। घमण्ड या अहंकार के स्थान पर हमें सिर्फ अहोभाव लेना चाहिए कि हम मात्र एक अंश के अवतार है। हम सागर नही है लेकिन उसकी बूंद तो है, हम सूरज नही है लेकिन दीपक तो है।
बेटी जन्मे तो उत्सव मनाओं
जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता है। कन्या जन्म से राश्ट्र की सम्पत्ति, विभुति और ऐष्वर्य बढ़ता है। स्त्री में सात विभूति होती है। घर में बेटी आई तो समझों सात विभूतियां प्रकट हुई। परिवार में जब बेटी का जन्म हो तो उसे बडा उत्सव समझों। बापू ने कहा कि मैं व्यासपीठ के माध्यम से आह्वान करता हूं कि कन्याओं का सम्मान होना चाहिए। कन्या शक्ति, विद्या, श्रद्धा, क्षमा का रूप है उसका स्वागत करना चाहिए। बापू ने बेटे एवं बेटियों में भेदभाव नही करने का आह्वान किया। भारत देष एवं धरती को भी हम माता कहते है। बेटी एक नही तीन घरों को तारती है।