इतिहासकारों ने प्रशासनिक व्यवस्था पर किया मंथन
इतिहासकारों ने प्रशासनिक व्यवस्था पर किया मंथन
इतिहासकारों ने प्रशासनिक व्यवस्था पर किया मंथन

बीकानेर । जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय- जोधपुर के प्रो.एस.पी.व्यास ने कहा है कि  बीकानेर राज्य अभिलेखगार इतिहास से जुड़े विद्यार्थियेां के लिए पवित्र तीर्थस्थल है। इस अभिलेखागार में इतिहास के लेखन एंव संरक्षण के लिए एक सराहनीय पहल राष्ट्रीय स्तर पर की है। व्यास  गुरुवार को राजस्थान राज्य अभिलेखागर के द्वारा राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे।

उन्होने कहा कि इस अभिलेखागार के कार्मिकों के अथक प्रयासों से जिन रियासतकालीन अभिलेखों का डिजिटेलाइजेशन हुआ है वह आने वाली पीढ़ियेां के लिए भी इतिहास का मार्गदर्शन करायेगा। यंहा पर आने वाले देशी विदेशी शोधार्थियों से आग्रह किया कि वे अभिलेखागार में उपलब्ध सामग्रियों का सेदुपयोग कर इतिहास के पहलुओं को आमजन तक पहुचाने का प्रयास करें। राज्य अभिलेखागार के विषय को उच्च शिक्षा में भी शामिल करने की पैरवी की। उन्होने आज के परिपेक्ष्य में शोध के विद्यार्थियों को पर्यावरण इतिहास पर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

राजस्थान राज्य अभिलेखागर के निदेशक डा.महेंद्र खडगावत ने हुए कहा कि राज्य अभिलेखागार में इतिहास को आधुनिक तरीके साहित्य के साथ जोड़ने का अथक प्रयास किया जा  रहा है। अभिलेखागार के द्वारा अभी तक पचास लाख से अधिक रियासतकालीन दस्तावेजों को आनलाइन किया गया है। इसके साथ ही 35 हजार से अधिक दस्तावेजेां का रिकार्ड संरक्षित करने का कार्य भी प्रगति पर है। राज्य के अभिलेखागर में देश विदेश के शोधार्थियों को अपने शोध के लिए उपयुक्त सामग्री व इतिहास की जानकारी पूरी तरह से उपलब्ध कराई जा रही है। इस दौरान राज्य अभिलेखागार के अभिलेख जनरल का भी विमोचन किया गया।

सेमीनार के मुख्य वक्ता महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के प्रो.शिव कुमार भनोत ने रियासतकालीन एंव मुगलकालीन प्रशासनिक व्यवस्था  पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उस समय की प्रशासनिक राजस्व, पंचायती राज के दस्तावेज इतिहास के विद्यार्थियेां के लिए नया आयाम प्रदान कर रहा है। बीकानेर का  राज्य अभिलेखागार में संग्रहित 22 राज्यों के रियासतकालीन दस्तावेज इस बात का प्रमाण है।

उन्होंने राज्य अभिलेखागार के विभिन्न अभिलेख श्रृखंलाओं का हवाला देते हुए प्रशासन कि विविध पक्षों प्रशासनिक, राजस्व, न्यायिक व अन्य पहलूओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।   डॉ. भनोत ने अभिलेखागार द्वारा ऑन-लाईन किये गये 50 लाख अभिलेखों को ऐतिहासिक दृष्टि से बहुआयामी कार्य बताया। उन्होने कहा कि रियासतकालीन तंत्री की पंचायत राज व्यवस्था के दस्तावेजों को आधार बनाकर इस क्षेत्र में और आगे बढ़ने की महती आवश्यकता है।

सेमीनार के मुख्यअतिथि कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं डीन प्रोफेसर रविंद्र कुमार कुलश्रेष्ठ ने कहा है कि बीकानेर रियासत सहित राज्य की विभिन्न रियासतों का इतिहास अपने आप में मूल्यवान है।

विशिष्ट अतिथि निदेशक सिटी पैलेस संग्राहालय यूनिस खेवानी ने कहा कि राज्य के रियासतकालीन इतिहास के स्रोत एंव सिटी पैलेस संग्राहालय जयपुर से जुड़ी जानकारी पर प्रकाश डाला। मुगलकाल से प्रारम्भ होने वाले प्रशासनिक व्यवस्था के तमाम पहलूओं पर अभिलेखागारीय दृष्टि से विश्लेषण एवं विवेचन की आवश्यकता बताया तथा अभिलेखागार द्वारा आयोजित की जा रही सेमीनार के विषय को सामयिक बताते हुए इस पर आने वाले शोध पत्रों तथा प्रश्नोंत्तर को दूरगामी परिणाम वाला बताया।

इंटेक इंडिया की निदेशक ममता मिश्रा ने कहा कि रियासतकालीन एंव मुगलकालीन दस्तावेजों के सरंक्षण एंव सुरक्षा से जुड़ी जानकारी दी।

इससे पूर्व अतिथियेां के द्वारा वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा, डॉ. कान्तिलाल माथुर तथा राष्ट्रीय अभिलेखागार के उप निदेशक डॉ. एम.ए. हक को अभिलेखागार विभाग की तरफ से सम्मानित किया गया। द्वितिय सत्र में तकनीकी विषय पर प्रो.कांति माथुर के संयोजन में सेमीनार में आए विषय विशेषज्ञेां ने विभिन्न विषयेंा पर पत्र वाचन किये।

राष्ट्रीय अभिलनेखागार के उप निदेशक डॉ. एम.ए. हक ने राष्ट्रीय अभिलेखागार मे उपलब्ध हल्दीया रिकॉर्ड के बारे में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। अभिलेखागार के पूर्व उप निदेशक डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा ने मध्यकालीन प्रशासनिक स्रोतों के बारे में जानकारी दी। जोधपुर विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर डॉ. कान्तिलाल माथुर ने बीकानेर के महाराजा डूंगरसिंह जी के शासन व उनकी प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में जानकारी दी। कोटा से आयी हुई शोधार्थी श्रीमती मीना जांगिड़ ने बीकानेर राज्य की मध्यकालीन जल व्यवस्था के बारे में अपना शोध पत्र पढ़ा। इस तकनीकी की सत्र की अध्यक्षता जोधपुर विश्वविद्यालय के प्रो. कान्तिलाल माथुर तथा राजस्थान पुलिस अकादमी के एशोसियेट प्रोफेसर डॉ. विकास नोटियाल ने की।शुक्रवार को  तीन सत्रों में 15 से ज्यादा शोध पत्रों का वाचन व विश्लेषण किया जायेगा। मंच संचालन संजय पुरोहित ने किया।