नई दिल्ली। उमर अब्दुल्ला के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने से इनकार को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। राज्यपाल एन एन वोहरा ने गुरूवार को केन्द्र को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और ऎसा माना जा रहा है कि राष्ट्रपति शासन लगाया जाना एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है।
सूत्रों ने बताया कि वोहरा ने राजधानी में गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और उनको अब्दुल्ला द्वारा भेजा गया एक पत्र सौंपा जिसमें उन्होंने कहा है कि वह कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद से हटना चाह रहे है। अब्दुल्ला ने राज्य में सरकार गठन को लेकर हो रही देरी को कारण बताते हुए कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने से इनकार कर दिया है।
सूत्रों ने कहा, इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। जम्मू-कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 के अनुसार, राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। अब्दुल्ला ने बुधवार रात राज्यपाल से मुलाकात की और कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद से हटने की अपनी इच्छा व्यक्त की।
अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, मैंने गत रात राज्यपाल वोहरा साहब से मुलाकात की और कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद से हटने के बारे में उन्हें अवगत कराया। मैंने अस्थायी तौर पर मुख्यमंत्री पद पर बने रहना स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार गठन में एक सप्ताह या दस दिन का समय लग सकता है। आज हम उस लक्ष्य से पीछे है जो दस दिन पहले था। मेरा मानना है कि पूर्णकालिक प्रशासक राज्य के लिए काम कर सकता है न कि एक कार्यवाहक।
अब्दुल्ला ने कहा कि अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को लोगों को यह बताना चाहिए कि 28 विधायक और दो पार्टियों के समर्थन की पेशकश के बावजूद राज्य में राज्यपाल का शासन क्यों लगे।