बीकानेर । नगर निगम के महापौर नारायण चौपड़ा ने कहा है कि अभय जैन ग्रंथालय सहित बीकानेर में प्राचीन व दुर्लभ साहित्य का विपुल भंडार है। नगर की साहित्यिक धरोहर को संरक्षित व सुरक्षित रखते हुए युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की जरूरत है।
चौपड़ा गुरुवार को नोखा रोड के संपत पैलेस “सिद्धान्तमहोदधि” अगर चंद नाहटा पर जारी विशेष आवरण व विशेष विरुपण के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप् में बोल रहे थे। नाहटा की 105 वीं जयंती पर समारोह का आयोजन भारतीय डाक विभाग के राजस्थान परिमंडल के सान्निध्य में अभय जैन ग्रंथालय की ओर से किया गया था। समारेाह में बीकानेर के साहित्यकार, पत्राकार व प्रबुद्धजन शामिल हुए।
महापौर ने कहा कि मूर्धन्य साहित्यकार नाहटा ने क्षण-क्षण, पल-पल का सदुपयोग करते हुए दुर्लभ ग्रंथों व पांडुलियों का संग्रहण किया । यह पांडुलिपियां वर्तमान में अनमोल निधि हैं। इस निधि पर शोध कार्य करने, विशिष्टताओं को आम जन तक पहुंचाने तथा सृजित साहित्य का लाभ उठाने की जरूरत है।
डाकतार विभाग के बीकानेर मंडल अधीक्षक एस.के.शर्मा ने कहा कि विशेष आवरण पर भारत के प्रतिभा संपन्न, दैदीप्यमान नक्षत्रा, पुरातत्वेतिहास-साहित्य के अन्वेषक विद्वान, विचारक, लेखक एवं राजस्थान साहित्य वाचस्पति अगर चंद नाहटा और उनके द्वारा स्थापित अभय जैन ग्रंथालय को दर्शाया गया है। विशेष विरुपण में श्री अगर चंद नाहटा, पुस्तक एवं लेखनी के रेखा चित्रा को दिग्दर्शित किया गया है। डाक विभाग ने इसे पूर्व भांडाशाह जैन मंदिर और सुप्रसिद्ध चिंतक, विचारक व साहित्यकार हरखचंद नाहटा, लोकगायिका अल्लाह जिलाई बाई, राजकीय संग्रहालय में प्रदर्शित पल्लू की सरस्वती माता की प्रतिमा आदि के डाक टिकट व विशेष आवरण जारी किए हैं। डाक टिकटों से युवापीढ़ी प्रेरणा लेगी तथा उन्हें इतिहास, कला व संस्कृति तथा विशेष क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले महानुभावों के बारे में जानकारी मिलेगी।
भारतीय दूर संचार निगम के उप महाप्रबंधक वित एस.आर.चालिया ने कहा कि स्वर्गीय अगर चंद नाहटा ने संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, पाली, प्राकृत सहित विविध भाषाओं में शोध कार्य किया । डाक टिकट संग्रहकर्ता प्रेम रतन मारू ने बीकानेर में जारी किए डाक टिकटों के बारे में बताया। राजस्थान राज्य अभिलेखागार के पूर्व उप निदेशक गिरिजा शंकर शर्मा ने कहा कि स्वर्गीय अगर चंद नाहटा की अनेक भाषाओं की लिपियों का ज्ञान विशिष्ट था। स्वर्गीय नाहटा द्वारा स्थापित संग्रहालय में अभूतपूर्व ग्रंथ है।
अभय जैन ग्रंथालय के तनसुख नाहटा व सूरजमल पूगलिया ने ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि स्वर्गीय अगर चंद नाहटा देश के मूर्धन्य साहित्यकार थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में लगभग 90 हजार दुर्लभ हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह किया जो आज भारत के निजी ग्रंथागारों की प्रथम पंक्ति में शुमार होता है। संग्रह के साथ स्वर्गीय नाहटा ने प्रतिदिन लगभग 16 घंटे अध्ययन कर लगभग 8 हजार से अधिक शोधपूर्ण निबंध लिखे जो आज शोधार्थियों को अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करते है। कार्यक्रम समन्वयक दिल्ली से आए ललित नाहटा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि स्वर्गीय नाहटा ने जीवन के 72 में से 60 वर्ष साहित्य सेवा में व्यतीत किए। वे साक्षात ज्ञान तीर्थ थे। उन्होंने परिवार, समाज ही नहीं प्रदेश के अनेक लोगों को साहित्य के संरक्षण, सृजन व उन्नयन के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर साहित्यकार उषा किरण सोनी ने कन्हैयालाल सेठिया पर प्रकाशित शोधग्रंथ को अतिथियों को भेंट किया। अतिथियों का शॉल से सम्मान जैन श्वेताम्बर पार्श्वचन्द्र गच्छ संघ के अध्यक्ष सुनील रामपुरिया, सुरपत चंद बोथरा, चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल, जयचंद लाल सुखानी, कन्हैयालाल बोथरा व विजय चंद नाहटा ने किया। कार्यक्रम का संचालन अभय जैन ग्रंथालय के ट्रस्टी सूरजमल पूगलिया ने किया। पूर्व में श्रीमती तारादेवी बोथरा ने मंगलपाठ किया ।