बीकानेर । बीकानेर प्रेस क्लब की ओर से रविवार को अजित फाउण्डेशन के सहयोग से फाउडेशन सभागार में आयोजित समारोह में हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के उप कुलपति सनी सेबेस्टीन का सम्मान किया गया। समारोह के दौरान प्रेस क्लब के अध्यक्ष जयनारायण बिस्सा, महासचिव अपर्णेश गोस्वामी, पत्रकार अशोक माथुर, हनुमान चारण आदि ने श्री सेबस्टीन को स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर उप कुलपति सबेस्टीन ने विवि के कोर्स आदि के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आज के दौर में पत्रकारों को विषय से संबंधित अधिक जानकारियों के लिये अपने आप को लगातार प्रशिक्षित करने को तैयार रखना चाहिये। उन्होंने कहा कि हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भविष्य में कार्यरत पत्रकारों को और प्रशिक्षित करने के लिये कोर्स व कार्यशालायें आयोजित करने की कोशिश में हैं। समारोह में दीपचंद सांखला, मनोहर चावला, के के सिंह, रोनक व्यास, उमाशंकर आचार्य, पवन भोजक, शिवाजी आचार्य, नीरज जोशी, शिव भादाणी, आनंद आचार्य, सुमित व्यास, राजेश रतन व्यास, मनीष सिघंल, चन्द्रकांत कल्ला, नटवर ओझा, राजेश छंगाणी, महेन्द्र महेरा, संजय पारीक, अक्षय आचार्य आदि उपस्थित रहे। इससे पूर्व कुलपति सनी सेबेस्टीन ने अजित फाउंडेशन के वार्षिक उत्सव पर फाउंडेशन सभागार में आयोजित वर्तमान पत्रकारिता का सामाजिक सरोकार विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि पत्रकारिता के लिए स्वतंत्रता होनी चाहिए, क्योंकि पत्रकारिता में अगर स्वतंत्रता नहीं होगी तो लोकतंत्र को खतरा होगा। इसके लिए सोचना होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देखा गया है कि अखबार में कौनसी न्यूज प्रकाशित होगी, किस न्यूज को किस तरह प्रकाशित करना है इन पर बाजारवाद हावी हो रहा है। अखबार प्रकाशित करते समय यह सोचना चाहिए कि अखबार पब्लिक के लिए है जनर्लिस्ट के लिए नहीं। उन्होंने भारत में विज्ञान पर पत्रकारिता कमजोर होने पर चिन्ता व्यक्त की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पद्मभूषण प्रो. विजयशंकर व्यास ने कहा कि समाज को पत्रकारों से थोड़ी ज्यादा अपेक्षाएं होती है, साथ ही पत्रकार को साधारणजन से ज्यादा हिम्मत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकार समाज के लिए कार्य करता है इस के लिये वह समाज का सबसे ज्यादा जिम्मेवार व्यक्ति है। उन्होंने कहा कि अखबार पाठक या ग्राहक के पैसे से चलाया नहीं जा सकता इसके लिए विज्ञापन भी आने आवश्यक है। व्यास ने कहा कि आज जो सूचना का अधिकार, नरेगा जैसे कार्य पत्रकारिता की ही देन है। पत्रकार दीपचंद सांखला ने कहा कि पत्रकारिता बिजनेस घरानों की तरफ झुक रहा है। कौनसी खबर प्रकाशित होनी है कौनसी नहीं इसका पत्रकार पर बहुत ज्यादा प्रेशर रहता है। डॉ. अजय जोशी ने कहा कि वर्तमान में मीडिया बाजार बेस हो गया है। मनोहर चावला ने कहा कि आज नेता या विज्ञापन दाता पैसे के बल पर अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बड़े-बड़े विज्ञापन देकर जनता को गुमराह कर रहे है। अपर्णेश गोस्वामी ने कहा कि पत्रकार पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारिया होती है उसको सड़क, नाली, भ्रष्टािचार, ज्ञापन आदि सभी के बारे में लिखना होता है और लोगों की अपेक्षा भी अखबार से ही होती है। अविनाश आचार्य ने कहा कि आज पत्रकारों को वेतन बहुत कम मिलता है इस स्थिति में हम उनसे अधिक अपेक्षा कैसे कर सकते है उनकों सुविधाएं कम है। और इसके साथ-साथ लघु पत्रों की आवाज को दबा दिया जाता है। पवन भोजक ने कहा कि आज प्रेस में पत्रकार को रिपोर्टिंग करना, टाईपिंग करना एवं पेज मेकिंग जैसे सभी कार्य स्वयं करना पड़ता है। मनीष जोशी ने पत्रकार क्यों बने ? इस पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए पत्रकारों की दबी आवाज को बुलन्द किया। नीरज जोशी ने कहा कि पत्रकारिता को चौथे स्तंभ के रूप में कैसे माना जा सकता है क्योंकि लोकतंत्र के बाकी तीन स्तंभ पर सरकार की पूरी नजर है और वे व्यवस्थित तरीके से संचालित होते हैं जबकि चौथे स्तंभ को लावारिस के रूप में छोड़ दिया गया है। राजेश रतन व्यास ने कहा कि पत्रकार सबकी बात सुनता है लेकिन पत्रकारों की कोई बात नहीं सुनता है यहां तक कि प्रेस फोटोग्राफर की दशा तो और ज्यादा खराब है। इसके बारे में विचार करना आवश्यक है।