Tag: Sahitya Academy

राजस्थानी साहित्य में आधुनिक कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर स्व. श्री सांवर दइया : पुण्यतिथि विशेष

साँवर दइया का जन्म 10 अक्टूबर 1948, बीकानेर (राजस्थान) में हुआ। राजस्थानी साहित्य में आधुनिक कहानी के आप प्रमुख हस्ताक्षर माने जाते हैं। पेशे से शिक्षक रहे श्री दइया ने शिक्षक जीवन और…

 व्यंग्य अपमान नहीं वरन विसंगतियों पर चोट है : डॉ.चारण

बीकानेर । साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली और मुक्ति संस्थान की ओर से स्थानीय नेहरु-शारदा पीठ महाविद्यालय में राजस्थानी व्यंग्य विधा पर शनिवार को सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के उद्घाटन…

दो दिवसीय राजस्थानी साहित्यक कार्यक्रम 1 एवं 2 जुलाई को

बीकानेर । साहित्य अकादेमी, दिल्ली के तत्वावधान में दो दिवसीय राजस्थानी साहित्यक कार्यक्रम 1 एवं 2 जुलाई को बीकानेर में अयोजित किया जा रहा है। साहित्य अकादेमी, मुक्ति संस्था के…

मातृभाषा राजस्थानी में लिखकर ही, एक लेखक अपनी राष्ट्रीय पहचान बना सकता है : आचार्य

  बीकानेर । साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली एवं मुक्ति संस्था, बीकानेर की ओर से ‘राजस्थानी नाटकः परम्परा एवं चुनौतियां’ विषयक दो दिवसीय सेमिनार का रविवार को समापन हुआ। स्टेशन रोड…

रंगमंचीय नाटक त्रिनेत्रीय होता है, जो भूत, वर्तमान एवं भविष्य को अपने में समाविष्ट किए होता है : डॉ. चारण

बीकानेर। ‘नाटक प्रतिरोध का माध्यम है। वह समाज को चेताने का काम करता है, समाज में व्याप्त विसंगतियों-विदू्रपताओं-विरोधाभासों को वह उद्घाटित करता है, इसलिए अपना प्रतिरोध करने वाले इस माध्यम…

Bouddhi Book Exhibition Bikaner

राजस्थानी भाषा साहित्य की उज्ज्वल सुदीर्घ परंपरा रही है : जगदीश उज्ज्वल

बीकानेर । राजस्थानी भाषा और साहित्य की उज्ज्वल सुदीर्घ परंपरा रही है जिसमें कविता के विभिन्न और विविध सौपानों को देखा जा सकता है। समकालीन कविता में छंदबद्ध और मुक्त-छंदी रचनाओं…

Tessitory Award

साहित्यकार मधु आचार्य एवं डा. नीरज दइया तैस्सीतोरी अवार्ड से सम्मानित

  बीकानेर । राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के शोध अध्ययेता इटली विद्वान डा. एल. पी. तैस्सीतोरी की 96 वीं जयन्ती के अवसर पर सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीटयूट द्वारा राजकीय…

Symposium on Rajassthani Stories

राजस्थानी साहित्य पर आलोचना कर्म की जिम्मेवारी स्वयं रचनाकारों को ही उठानी होगी : डा. चारण

बीकानेर । “राजस्थानी साहित्य पर आलोचना कर्म की जिम्मेवारी स्वयं रचनाकारों को ही उठानी होगी क्योंकि राजस्थानी कहानी समेत अनेक विधाओं में सृजन हो रहा है किन्तु उसकी तटस्थ एवं…