एक सफेद एंम्बैसडर कार आकर रुकती है…अटल बिहारी वाजपेयी उस कार से उतरते हैं… सामान्य सफेद कुर्ता और धोती…वह सबको हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं…उसी मंच पर एक करीब 50-55 साल का नेता भाषण दे रहा था..कोई पीछे से कह रहा था कि नरेंद्र मोदी हैं..वाजपेयी के मंच पर आते ही भीड़ के शोर की वजह से उस शख्स का भाषण सुनाई नहीं देता है…वह रुक जाता है..
वाजपेयी बोलने के लिए खड़े हों इससे पहले कि आसमान में अचानक से काले बादल छा जाते हैं…उस समय शाम के 3 बजे रहे होंगे..लेकिन इतना अंधेरा छा जाता है..कि आसपास बिल्डिंग में सुरक्षा के लिए खड़े पुलिसकर्मी भी नहीं दिखाए देते हैं. मंच पर सिर्फ वाजपेयी दिख रहे थे क्योंकि उन्होंने सफेद कुर्ता और धोती पहन रखा था…वह बोलने के लिए खड़े होते हैं…वह कुछ बोल पाते कि अचानक तेज से बिजली कड़कड़ती है…लेकिन मैदान में ठसाठस भरी जनता टस से मस नहीं होती है..
वाजपेयी भाषण की शुरुआत करते हैं, भाइयों और बहनों..आसमान बादलों से भरा हुआ है…धरती आपके जनज्वार से उमड़ी पड़ रही है…देखना है पहले कौन बरसता है…पहले कौन गरजता है…इसके बाद करीब 15 मिनट तक जिंदाबाद..जिंदाबाद के नारों से पूरा गूंजने लगता है..
25 दिसंबर 1924 को ग्वालिया में वाजपेयी का जन्म हुआ था. उन्होंने न केवल एक बेहतरीन नेता बल्कि एक अच्छे कवि के रूप में भी नाम कमाया और एक शानदार वक्ता के रूप में लोगों के दिल जीते. उन्होंने पूरा जीवन राजनीति का समर्पित कर दिया…भारत सरकार की ओर से उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है.