सौम्य लगन हो और राहु में विराजमान हो तथा शनि से देखा जा रहा हो, मंगल नीच का कुंडली में विराजमान हो तो नीच के मंगल की दशा में अन्तर्दशा में हत्यारा बनने का योग होता है, इसके अलावा भी शरीर की पहचान कर लेना भी जरूरी है, जैसे पुरुष के दाहिने हाथ का अंगूठा अगर आगे की तरफ़ आलू की तरह से मोटा है और नाखून भी आधा ही रह गया है अर्थात सांप के फऩ जैसा दिखाई दे रहा है तो उससे हत्या जरूर होगी, वह एक या एक से अधिक हत्याएं कर सकता है।
इसके विपरीत महिला जातकों में देखा जाता है, लेकिन महिला जातकों में अक्सर वे महिलायें अधिक क्रूर होती हंै जिनकी कुंडली में अष्टम का मंगल होता है और चन्द्र राहु शुक्र की युति त्रिक भावों में होती है अथवा लाभ भाव में होती है। इसके अलावा भी उनकी मुख्य पहचान चेहरे से की जाती है, दोनों आंखों की भौहें नाक के ऊपर माथे की तरफ़ चढ़ी होती है और स्त्री को लाल रंग के साथ में काले रंग का कम्बीनेशन अच्छा लगता हो। इसके अलवा कमर से ऊपर का हिस्सा भारी हो और कमर से नीचे का हिस्सा पतला होता चला गया हो। सामने के दांतों चारों देहलीज नुकीली होकर अन्य दांतों से ऊपर उठ गयी हो।
चेहरे का नीचे का भाग ठोड़ी तक पतला होता चला गया हो। अक्सर हत्या करने वाले का चेहरा अपने आप में ही क्रूर दिखाई देने लगता है, आंखें लाल हो जाती है, वह सोते-सोते चमकने लगता है, उसे भोजन करने में और किसी से बात करने में अचानक ताव आता है, वह हमेशा किसी ना किसी हथियार को अपने साथ लेकर चलता है या फिऱ हथियार की बातें किया करता है। तकिया कलाम से भी हत्यारे को पहचाना जा सकता है, जैसे ‘देख लूंगाÓ,’याद रखनाÓ,’आगे मिलते हैंÓ आदि तकिया कलाम आराम से हत्यारे की जुबान पर रहते हैं। हत्यारे के माथे की नसें टेढ़ी मेढ़ी चमकने लगती है, पसीने की बूंदें किसी भी समस्या को सुन कर चमकने लगती है, भोजन करते वक्त पसीना आने लगता है। रास्ता चलते चलते रास्ते में पड़े पत्थर को ठोकर मारने लगता है, एक से अधिक स्त्री या पुरुषों से गलत सम्बन्ध बन जाते है, पति या पत्नी हमेशा सहमे हुए रहते हंै, घर के बच्चे दिमागी रूप से मंद बुद्धि जैसे दिखाई देते हैं जिसमें पहला बच्चा या तो मंद बुद्धि होता है अथवा किसी न किसी कारण से अपंग होता है। पैरों को रखने पर वह पंजों को पहले रखने का प्रयास करता है या करती है, घुटने मोड़ कर एडी पर बैठने की आदत होती है, हाथ को पटकने और सिर को कंधों की तरफ़ बार-बार झुकाने की आदत भी देखी जाती है। सोते समय अचानक डरना, पुलिस या किसी खतरनाक आदमी का नाम लेते ही चमकना, चेहरे के हाव-भाव बदलना भी आदतें देखी जाती है। गोचर से राहु जब गुरु को अष्टम दृष्टि से देखता है तो जीव हत्या का समय माना जाता है अथवा जन्म का राहु गोचर के गुरु को देखता है तो हत्या का समय होता है, इसके अलावा नीच का मंगल जिस भी भाव को अष्टम दृष्टि से देखता है तो उस भाव के कारक की हत्या मानी जाती है। कर्क, मीन, वृश्चिक का मंगल अगर शनि राहु या केतु से शक्ति ले रहा है तो हत्या का कारण बनता है लेकिन गुरु या नवम के मालिक के द्वारा इन ग्रहों को देखा जाता है तो हत्या जीव को बचाने के लिये की जा सकती है, जीव के साथ बीमारी से बचाने के लिये जीव का आपरेशन जिन डाक्टरों के द्वारा किया जाता है उनकी कुंडली में भी यही युति देखी जा सकती है।
इन ग्रहों के द्वारा सूर्य को देखे जाने पर पुत्र और पिता की हत्या माना जाता है, इसके साथ ही जातक को पेड़ काटने का पूरा ज्ञान भी होता है। बुध को देखे जाने पर व्यापार से धन से या ग्रहस्थ जीवन से काटना मानते है, शुक्र को इन ग्रहों के द्वारा देखे जाने पर पत्नी और दूसरों की सम्पत्ति को काटना मानते हैं। गुरु, राहु अगर शनि मंगल को देखता है और केतु उसे बल देता है तो जातक पक्षियों का हत्यारा होता है, द्विपद राशियों को देखने पर मनुष्यों की हत्या करने होता है.