नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने एक सुर में कहा कि घाटी की सुरक्षा और देश की अखंडता पर कोई समझौता नहीं होगा। सरकार ने घाटी के हालात से सख्ती से निपटने की तरफ इशारा करते हुए पाकिस्तान को उसी के तरीके से जवाब भी दिया है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में एक प्रस्ताव भी पास किया गया। बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि देश की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं होगा। जम्मू, कश्मीर, लद्दाख और PoK भारत का हिस्सा है और वहां के लोगों का भरोसा जीतने की जरूरत है। उन्होंने बलूचिस्तान में मानव अधिकारों पर चिंता जताते हुए कहा कि बातचीत में PoK के लोगों का शामिल होना जरूरी है साथ ही इसमें दूसरे देशों में रह रहे PoK के लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
पीएम बोले कि हम जम्मू-कश्मीर के शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही वहां के लोगों के कल्याण को लेकर भी हम प्रतिबद्ध हैं। पीएम ने कहा कि यह खुशी की बात है कि सभी दलों ने कश्मीर को लेकर एक आवाज में बात की है। मैं सभी दलों का आभारी हूं कि उन्होंने कश्मीर के वर्तमान हालातों पर चिंता जाहिर की है। हर भारतीय की तरह में भी पिछली कुछ घटनाओं से गहरे दुख में हूं।
वहीं राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि घाटी में युवाओं के दिलो दिमाग को जीतने की जरुरत है। उनके जख्मों पर सरकार द्वारा मरहम नखने की जरुरत है। आजाद आगे बोले कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बैठक में कहा है कि 10 सालों तक जब हम सत्ता में रहे तो हमने इस समस्या के समाधान की कोशिश की। हम मानते हैं कि हम पूरी तरह सफल नहीं हुए लेकिन यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वो वर्तमान हालात से निपटने के लिए रोडमैप तैयार करे। हम कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए आश्वासन देते हैं कि हम पूरी तरह सरकार के साथ हैं।
बैठक के बाद बाहर अाए कम्यूनिस्ट नेता सिताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को कश्मीर के लोगों का भरोसा जीतने के लिए कदम उठाने होंगे। पैलेट गन का उपयोग बंद करने के साथ ही रहवासी इलाकों से आफस्पा हटाना होगा। हमने कुछ मशवरे दिए हैं जिन पर विचार किया जाएगा। सरकार और विपक्ष- दोनों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर की जनता को एक सुर में संदेश देने के लिए सर्वदलीय बैठक की बड़ी अहमियत है। खास तौर पर इसलिए भी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस बैठक में मौजूद थे।