माघ कृष्ण चतुर्थी अर्थात संकट चौथ या तिलकुटा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। कालांतर में इसी दिन गणेश जी ने देवताओं का संकट दूर किया था। तब महादेव ने प्रसन्न होकर गणेश जी को वरदान दिया था कि आज के दिन जो लोग गणपती की संकट मोचन के रूप में पूजा करके व्रत करेंगे उसके सब संकट दूर होंगे। महादेव ने प्रसन्न होकर गणपती को यह भी वर दिया कि संकट चौथ पर चंद्रमा गणेश जी के मस्तक का सेहरा बनकर पूरे विश्व को शीतलता देंगे।
जो व्यक्ति संकट चौथ पर गणपती का पूजन कर चंद्र को अर्घ्यदान देगा उसके दैहिक, दैविक व भौतिक विकार दूर होंगे व एश्वर्य, पुत्र, सौभाग्य प्राप्त करेगा। इसे वक्रतुण्डी चतुर्थी भी कहा जाता हैं। इस दिन विद्या, बुद्धि वृद्धि, संकट हरण के लिए विशेष उपाय व अनुष्ठान करना चाहिए। इस दिन मिट्टी से बने गणेश की पूजा की जाती है तथा तिल-गुड़ से बना लड्डू व शकरकंदी चढ़ाई जाती है। अग्नि की सात बार परिक्रमा करके कथा सुनने के बाद जल भरे लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। संकट चौथ के विशेष पूजन व उपाय से संकटों का अंत होता है, दुख दूर होते हैं, संतान की रक्षा होती है व सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष पूजन विधि: संध्या के समय घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में गुलाबी कपड़े पर मिट्टी से निर्मित गणपती की मूर्ति स्थापित करके विधिवत पूजन करें।
नारियल तेल का दीप करें, गुलाब की अगरबत्ती करें, गुलाब के फूल चढ़ाएं, अबीर से तिलक करें, दूर्वा चढ़ाएं, रेवडिय़ों का भोग लगाएं व रुद्राक्ष माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद चंद्रमा को इत्र, शक्कर, चंदन मिले जल से अर्घ्य दें तथा भोग प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें। गणेश पूजन मुहूर्तं: शाम 18:15 से शाम 19:15 तक। चंद्रोदय पूजन मुहूर्त :रात ९:23 से रात १० :23 तक। गणेश पूजन मंत्र: ऊँ गं गणेश्वराय विघ्ननायकाय नम:॥