देशी गौवंश का उन्नयन और पशुपालन को शिद्दत के साथ अपनाना हमारे हित मेंः राज्यपाल

कोड़मदेसर में देशी गौवंश की आधारभूत सुविधाओं का उद्घाटन, ग्रामीण और पशुपालकों से रूबरू हुए राज्यपाल
बीकानेर। राज्यपाल एवं वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री कल्याल सिंह ने मंगलवार को पशुधन अनुसंधान केन्द्र कोडमदेसर में देशी गौवंश साहीवाल व कांकरेज के लिए (आधारभूत संविधाओं) का विधिवत् उद्घाटन किया। राज्यपाल के अनुसंधान केन्द्र पहुंचते ही वेटरनरी कॉलेज की आर. एण्ड वी. एन.सी.सी. स्कवाड्रन के घुडसवार केडेट्स ने उनकी अगवानी की।
कुलाधिपति ने नवनिर्मित आधुनिक पशुघरों का अवलोकन किया। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने वहां पर मौजूद देशी गौवंश की साहीवाल नस्ल की 25, 24 और 20 लीटर दूध तथा कांकरेज नस्ल की 19 लीटर 16-16 लीटर प्रप्रतिदिन अधिकतम दूध देने वाली देशी गौवंश की जानकारी देकर उनका अवलोकन भी करवाया। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री सिंह ने विश्वविद्यालय की अनुसंधान, शिक्षा और प्रप्रसार की तमाम गतिविधियों का दिग्दर्शन कराने वाली प्रप्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस प्रप्रदर्शनी में पशुओं की आधुनिक शल्य चिकित्सा, उपचार सेवाओं, पशुपोषण और हाइड्रोपोनिक्स से हरे चारे के उत्पाद सहित चारे संरक्षण की तकनीक की जानकारी दी गई। प्रप्रायोगिक मॉडल, चार्टस, और रंगीन फोटो प्रप्रदर्शिन किए गए। इस अवसर पर राज्यपाल ने बड़ी संख्या में उपस्थित ग्रामीणों, पशुपालकों और कृषकों से सीधा संवाद किया। राज्यपाल ने एक-एक पशुपालक महिलाओं और कृषकों से घर की आर्थिक स्थिति, उपलब्ध पशुधन, शिक्षा, खेती और पारिवारिक जिम्मेवारियों के मद्देनजर सवाल पूछकर ग्रामीणों की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया।
इस अवसर पर संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा पशुपालकों के लिए किए गये सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों के अपनी ओर से बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष के गा्रमीण क्षेत्रों में स्वदेशी गौवंश के प्रप्रति लोगों में विश्वास और गहरी आस्था हैं। देशी गौवंश से अधिक दूध उत्पादन के प्रप्रयासों से इसको और मजबूती मिलेगी। उन्होंने हरे चारे के उत्पादन और संरक्षण की तकनीकी कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यहां की जमीन उपजाऊ हैं। कृषकों को खाद्यान के साथ-साथ हरे चारे के उत्पादन को भी प्रप्राथमिकता देनी चाहिए। हमारे यहां खेती में स्थिरता आ रही है । अतः हमें पशुपालन को भी पूरी शिदद्त के साथ अपनाना हैं। मरूस्थलीय क्षेत्रों में उद्योगों के बजाय गौपालन पर ध्यान देने के सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। पंचगव्य का भी अपना विशेष महत्व है। गौमूत्रा, गोबर की खाद और गौजन्य उत्पादों को भी बड़े पैमाने पर अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय इसमें सक्रियता से कार्य कर रहा है,जिसकी मुझे बहुत खुशी हैं। संवाद कार्यक्रम में तारानगर (चूरू) से आई महिला पशुपालक प्रप्रशिक्षणार्थी चामाली, संपति कुमारी, लक्ष्मीनारायण और बीकानेर की गीता, सुषमा व श्रीगोपाल उपाध्याय सहित कृषकों से राज्यपाल ने बातचीत की।
वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रप्रो. ए.के. गहलोत ने विश्वविद्यालय की सुद्धढ़ शैक्षणिक व्यवस्था, प्रप्रशासनिक और मजबूत वित्तिय स्थिति से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि देशी गौवंश की राज्य में उपलब्ध पांच नस्लों पर किए गए अनुसंधान कार्यों के सकारात्मक परिणाम आए हैं। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के प्रयासों से इन नस्लों से अधिकतम दूध उत्पादन के परिणामों से राज्य में उपलब्ध गौवंश में 50 फीसदी से भी अधिक देशी गौवंश पालन के प्रति पशुपालकों में विश्वास कायम होगा। विश्वविद्यालय ने बड़े पैमाने पर पशुपालन की नई तकनीक और वैज्ञानिक क्रियाकलापों को पशुपालकों तक पहुँचाने के लिए प्रषिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं।
शरह नथानियान गोचर भूमि संरक्षण एवं विकास समिति के अमित जांगिड़ ने चारागाह विकास और अखिल भारतीय जीव रक्षा समिति के शिवराज विश्नोई ने वेटरनरी विश्विद्यालय के सहयोग से वन्यजीवों के लिए पृथक से अस्पताल स्थापित करके की मांग पर राज्यपाल ने कहा कि इस बाबत प्रस्ताव बनाकर राजभवन भिजवाया जाएं जिस पर वे राज्य सरकार के स्तर पर उचित कार्यवाही के लिए भिजवायेंगे। इस अवसर पर वेटरनरी विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, फैकल्टी सदस्य और स्नातकोत्तर छात्रा/छात्राओं सहित गा्रमीण जन बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कुलाधिपति ने वेटरनरी विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क प्रकोष्ठ द्वारा तैयार त्रैामासिक न्यूजलेटर के ताजा अंक का विमोचन किया और नीम का एक पौधा केन्द्र परिसर में रोपित किया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. गहलोत ने बताया कि वेटरनरी विश्वविद्यालय, बीकानेर ने मई 2010 में अपनी स्थापना के बाद से ही चुनिन्दा स्वदेशी गौवंश यथा राठी, थारपारकर, कांकरेज, गिर तथा साहीवाल नस्लों पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। विश्वविद्यालय को इन पांच स्वदेशी नस्लों के संरक्षण का गौरव प्राप्त है। वैज्ञानिक तरीके से प्रजनन एवं प्रबंधन के कारण ही स्वदेशी नस्ल की 25 लीटर दूध प्रतिदिन देने वाली गाय तथा प्रप्रति ब्यात 5000 लीटर दूध देने वाली गाय भी यहां उपलब्ध है। एक अनुमान के अनुसार लगभाग 90 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों के पास स्वदेशी नस्लों के गौवंश उपलब्ध है। पारंपरिक पशुपालन तकनीकों के मिश्रण से स्वदेशी नस्लों के उन्नयन की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। देशी गौवंश मजबूत कद-काठी और लचीलेपन के लिए जानी जाती है। ये स्थानीय पर्यावरण के प्रति अधिक अनुकूलन की क्षमता वाली होती है। इनमें रोग-प्रतिरोधक, ताप सहन करने की अद्भुत क्षमता भी पाई जाती है। वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार स्वदेशी नस्लों से प्राप्त ए 2 श्रेणी का दूध ए 1 श्रेणी की तुलना में मानव स्वास्थ्य के लिए अतिलाभकारी है। भारतीय कृषि व्यवस्था में कम लागत व प्रबन्धन में यह देशी नस्ल अधिक कारगर है। विदेशी नस्लों की तुलना में इन नस्लों में रोगरोधी क्षमता भी अधिक होती है, साथ ही भार ढोने व खेती के कार्यों के लिए अधिक उपयोगी है। राजस्थान में श्रेष्ठ देशी गौवंश में राठी, थारपाररकर, कांकरेज, गिर और साहीवाल नस्लें शामिल हैं। इन उत्कृष्ट देशी नस्लों से अन्य पिछड़ी नस्लों का विकास भी किया जा सकता है। राज्य की पांचों गौ नस्लों राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो से मान्य है। स्वदेशी गौवंश का संरक्षण और संवर्द्धन आवश्यक हो गया है। राज्य में पाये जाने वाला गौवंश का 50 फीसदी भाग नस्लों की अधिसूचित सूची से बाहर है। यदि समय रहते स्वदेशी नस्लों का संरक्षण एवं संवर्द्धन नहीं किया गया तो, ये प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। वेटरनरी विश्वविद्यालय ने स्वदेशी गौ नस्लों के महत्व और उपयोगिता को देखते हुए राज्य की पांचों प्रमुख नस्ल के संवर्द्धन और संरक्षण उपायों को लागू करने के लिए प्रत्येक नस्लों के लिए गौवंश प्रजनन और अनुसंधान केन्द्र स्थापित किए हैं। इन केन्द्रों में नस्लों के विकास, नस्ल का सुधार और आनुवांशिकी विकास का कार्य किया जा रहा है।

राज्यपाल ने अपनी बीकानेर यात्रा को यादगार बताया

राज्यपाल श्री कल्याल सिंह ने अपनी तीन दिवसीय बीकानेर यात्रा को स्मरणीय एवं यादगार बताया है। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन,पुलिस प्रशासन और आमजन की सराहना की है।
राज्यपाल के आज सर्किट हाउस से जयपुर रवाना होने से पहले जिला कलक्टर आरती डोगरा,जिला पुलिस अधीक्षक संतोष चालके और सर्किट हाउस प्रबन्धक की व्यवस्थाओं की सराहना की। उन्होंने इन तीन दिनों में उनसे मिलने आए आम नागरिकों की भी तारीफ कि जिन्होंने अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए उनमें विश्वास व्यक्त किया। राज्यपाल ने विभिन्न सामाजिक संगठनों की भी सराहना की जिन्होंने सरलता व सौम्यता के साथ अपनी बात रखी।