भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव जन्माष्टमी महोत्सव पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाएगी । मंदिरों और घरों में जहां श्रीकृष्ण की लीलाओं के जुड़ी कथाओं को कहती झांकियां सजाई जा रही हैं, वहीं कई शहरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मटकी-फोड़ और भजन-कीर्तन जैसे कार्यक्रमों की तैयारियां चाल रही है । मुंबई में दही-हांडी फोड़ने का कार्यक्रम हजारों रुपए के ईनाम और गोविंदा आला-रे के बोल के साथ हर वर्ष की भांति इस बार भी आयोजित होगा । वहीं, भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में भी हजारों की संख्या में भक्त श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने लगातार पहुंच रहे हैं। यहां भक्तों के पहुँचने का सिलसिला पिछले सप्ताह भर से जारी है। ट्रेंनों में मथुरा पहुंचने वाले भक्तों की भीड़ दिखाई दे रही है।
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दिन तीनों लोक काफी ज्यादा उत्साहित रहते हैं। साथ ही माना जाता है कि सभी देवी-देवता भी भगवान श्रीकृष्ण के अवतार लेने और ब्रज भूमि पर की गई उनकी लीलाओं को याद कर पूरी तरह इस तरह से बलिहारी हो जाते हैं कि बैकुंठ की भव्यता ब्रज के आगे फीकी पड़ जाती है।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर कई मंदिरों भजन-कीर्तन के बीच भगवान श्रीराधा-कृष्ण को ‘चंद्रकी’ पोशाक धारण करा दी गई। मथुरा में जन्माष्टमी पर महाभिषेक के लिए विशाल मंच तैयार किया गया है। कमल पुष्प पर स्थापित चांदी की चौकी पर विराजमान भगवान श्रीकृष्ण के चल-विग्रह ऐसे प्रतीत होंगे, जैसे कमल की प्रत्येक पंखुड़ी असंख्य भक्तों के साथ-साथ उनके स्वरूप को निहार रहे हों।
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर जन्म महाभिषेक का कार्यक्रम रात्रि 11 बजे श्री गणेश-नवग्रह आदि के पूजन से शुरू होगा। रात्रि 12 बजे भगवान प्रकट होंगे। साथ ही दिनभर मंदिर परिसर में ढोल, नगाड़े, झांझ-मजीरे, मृदंग की धुन हरिबोल के साथ सुनाई देती रहेगी।
छोटी काशी में कान्हा के जन्मदिवस पर होंगें अनेकों आयोजन
आध्यात्मिक जगत के सर्वोत्कृष्ट उपदेष्टा, योगेश्वर,समाज संशोधक, नूतन क्रांति-विधायक, राजनीतिज्ञ, धर्मोपदेशक और धर्म संस्थापक भगवान कृष्ण का जन्म दिन “जन्माष्टमी” गुरुवार को जिले में भक्ति भाव से मनाया जाएगा। भगवान कृष्ण के विभिन्न नाम व रूपों के मंदिरों में धार्मिक उत्सव, विशेष पूजा अर्चना तथा भक्ति संगीत के आयोजन होगे।
अनेक श्रद्धालु व्रत रखेंगे तथा व्रत का पारणा रात को बारह बजे कृष्ण जन्म के समय के बाद करेंगे। बीकानेर नगर के प्रमुख लक्ष्मीनाथ मंदिर में तथा अनेक शिक्षण संस्थाओं में गुरुवार को अवकाश होने के कारण बुधवार को जन्माष्टमी का पर्व भक्ति भाव, श्रीकृष्ण रूप सज्जा प्रतियोगिता, सचेतन झांकियों व कृष्ण भक्ति के गीतों व नृत्यों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। शहर में कई स्थानों पर बच्चों व बड़ों ने भगवान कृष्ण की लीलाओं से संबंधित झांकियां सजाई है। झांकियों में अत्याधुनिक इलैक्ट्रोनिक खिलौनों का उपयोग किया गया है। अनेक बच्चे जन्माष्टमी की झांकी सजाने में मशगूल होेने के कारण बुधवार को स्कूल से अवकाश रखा । बच्चे दिन भर झांकी के लिए भगवान की मूर्तियां व खिलौने एकत्रित करने में लगे रहे, परिजनों ने भी बच्चों की मनोभावना को देखते हुए उनका पूर्ण सहयोग किया।
मरुनायक चौक के मरुनायक मंदिर, मदन मोहनजी मंदिर, दम्माणी चौक के बड़ा गोपालजी, छोटा गोपालजी, जस्सूसर गेट के बाहर लक्ष्मीनारायण, महात्मा गांधी मार्ग, कोठारी अस्पताल, जिला अस्पताल, तुलसी कुटीर, विश्वकर्मा गेट के बाहर राम मंदिर, पारीक चौक, फड़बाजार, डागा बिल्डिंग के पास, कोटगेट के सामने व बड़ा बाजार के सत्यनारायणजी मंदिर, जस्सोलाई क्षेत्रा के गोपीनाथ, शिवबाड़ी के लक्ष्मीनाथ मंदिर, भीनासर के मुरली मनोहर मंदिर, रतन बिहारी पार्क के रसिक शिरोमणी व रतन बिहारीजी मंदिर, दाऊजी मंदिर, तेलीवाड़ा के गोवर्धननाथजी, आसानियों के चौक के बिट्लनाथजी, नत्थूसर गेट के बाहर मूंधड़ों की बगीची, कमला कॉलोनी के गीता मंदिर, पठानों के मोहल्ले के अमरलालजी मंदिर तथा हनुमान हत्था के ठाकुरजी मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में जन्माष्टमी से पूर्व ही रंग रोगन कर आकर्षक रोशनी से सजावट की गई। कोठारी अस्पताल परिसर में लक्ष्मी-नारायण मंदिर में जन्माष्टमी पर शेषनाग की झांकी का श्रृंगार किया जाएगा। इन मंदिरों के साथ रानी बाजार के आनंद आश्रम सहित में जन्माष्टमी पर विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। मंदिरों के साथ व्यक्तिगत, संस्थागत व समूह रूप में अनेक स्थानों पर झांकियां सजाई जाएगी। इनमें भीनासर, किसमीदेसर, जेलवेल, पारीक चौक, रांगड़ी चौक में सुगनजी महाराज का उपासरा के पास व मुख्य चौक के पास, फड़ बाजार में जाल गट्टे के पास, सुथारों की बड़ी गुवाड़, विश्वकर्मा गेट के अंदर आदि स्थान शामिल है।
गुरुवार को जन्माष्टमी पर्व के दौरान जगह जगह कंस की भी झांकी प्रदर्शित की जाएगी। रात बारह बजे लोग घरों व मंदिरों में कांसी की थाली बजाकर व भगवान का जयकारा लगाकर उत्सव मनाएंगे। कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले परिवारों में महिलाएं बुधवार को भगवान कृष्ण के विभिन्न तरह के व्यंजनों के भोग की सामग्री बनाने में व्यस्त रही। मंदिरों में जन्माष्टमी पर माखन, मिश्री, पंजीरी सहित विभिन्न तरह के व्यंजनों का भोग ठाकुरजी के लगाया जाएगा। घरों में कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाएगी। बड़ा बाजार सहित अनेक स्थानों पर महिलाओं ने घरों के लड्डू गोपाल के नए वस्त्रों व झूले व अन्य श्रृंगार सामग्री की खरीदारी की। अनेक मिठाई के दुकानदारों ने भगवान कृष्ण के चित्रा के बैनर लगाकर जन्माष्टमी पर 56 भोग की विशेष थाली की बिक्री की। गुरुवार को मरुनायक चौक, जस्सूसर गेट के बाहर, तुलसी कुटीर के आगे सहित विभिन्न स्थानों पर मेले भरेगे।
लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर में बुधवार को जन्माष्टमी पर्व के मेले का सा माहौल था। मंदिर के बाहर खान-पान की वस्तुओं व खिलौनों आदि की अनेक दुकानें लगी थी। मटकी आदि से कंस की प्रतिमा बनाई गई जिसका प्रतीक रूप में रात बारह बजे वध किया गया। प्रतिमा के प्रतीक रूप वध के बाद मंदिर ’’ जय कन्हैयालाल की हाथी दीजै, घोड़ा दीजै, और दीजै पालकी’’ आदि के जयकारों से मंदिर गूंज उठा। श्री लक्ष्मीनाथ भक्त मंडल की ओर से मंदिर परिसर में लगातार 9 वें वर्ष 21 क्विंटल पंचामृत का वितरण किया गया।