सोलो साईकिल अभियान पूरा कर एएसआई कपिल ठाकुर ने प्रथम भारतीय होने का रिकार्ड अपने नाम किया
OmExpress News / अनूप कुमार सैनी / रोहतक / हरियाणा पुलिस के एएसआई कपिल ठाकुर (पर्वतारोही) ने माऊंट एवरेस्ट बेस केंप 18 हजार फिट व दिल्ली (इंडिया) से काठमांडू तक सोलो साईकिल अभियान पूरा करके प्रथम भारतीय होने का रिकार्ड अपने नाम किया। यह जानकारी पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता ने ने दी। Rohtak Hindi News
प्रवक्ता के अनुसार पुलिस अधीक्षक पानीपत सुमित कुमार ने आज अपने कार्यालय मे पर्वतारोही एएसआई कपिल ठाकुर को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया।
पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार ने बताया कि पानीपत मे एएसआई के पद पर तैनात कपिल ठाकुर ने नेपाल के रास्ते माउंट एवरेस्ट बेस केंप 18 हजार फिट चोटी पर 29 अप्रैल को भारतीय तिरंगा व हरियाणा पुलिस का झंडा फहराकर देश व हरियाणा पुलिस का गौरव बढाया है। जिसके लिए हम सभी एएसआई कपिल के उज्जवल भविष्य़ व स्वास्थय की कामना करते हुए उन्हे शुभ कामनाएं देते है।
पर्वतारोही एएसआई कपिल ठाकुर ने 5 अप्रैल को दिल्ली इंडिया गेट से काठमांडू नेपाल तक 3 हजार किलोमीटर साईकिलिग एक्सपेडिशन के साथ मांउट एवरेस्ट बी केंप की 18 हजार फुट उचाई पर 29 अप्रैल को भारतीय तिरंगा व हरियाणा पुलिस का झंडा लहराकर वापिस काठमांडू से दिल्ली के बीच का सफर साईकिल द्वारा तय कर पर्वतारोहण व साईकिल एक्सपेडिसन अभियान को पूरा करके ऐसा सयुक्त एक्सपेडिसन करने वाले प्रथम भारतीय होने का रिकार्ड अपने नाम करके देश व प्रदेश का नाम रोशन किया है।
इससे पहले भी पर्वतारोही एएसआई कपिल ठाकुर ने हिमालय पर्वत (पीर पंजाल), माऊंट कामेट, कुबेर चोटी, कुन चोटी, चोला पास (नेपाल), गोक्यूरी (नेपाल) पर भी भारतीय तिरंगा फहराने का कीर्तिमान स्थापित कर चुका है। Rohtak Hindi News
इस अभियान को पूरा करने मे कपिल ठाकुर ने साईकिल द्वारा दिल्ली से काठमांडू तक का सफर 108 घंटे व काठमांडू से दिल्ली वापिस आते हुए 78 घंटे मे अकेले पूरा किया है।
पर्वतारोही एएसआई कपिल ठाकुर ने इसके लिए पुलिस महानिदेशक हरियाणा मनोज यादव (आईपीएस), पुलिस महानिरीक्षक करनाल मंडल करनाल योगेन्द्र सिंह नेहरा (आईपीएस), व पुलिस अधीक्षक पानीपत सुमित कुमार का आभार व्यक्त किया।
जिला की मंडिय़ोंं में गेंहू की आवक जारी
हर्षित सैनी / उपायुक्त डॉ. यश गर्ग ने बताया कि रबी के सीजन में सरसों एवं गेंहू की खरीद व्यापक स्तर पर जारी है। अब तक 299518.65 मीट्रिक टन गेंहू की आवक व 246081.9 का उठान जिला की चार मंडियों रोहतक, महम, सांपला और कलानौर मंडियों से किया जा चुका है।
डॉ. यश गर्ग ने बताया कि फसल की खरीद के लिए विभिन्न एजेंसियों को अधिकृत किया गया है जिनमें हैफेड, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, हरियाणा वेयर हाऊस व एफसीआई शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि फूड सप्लाई विभाग द्वारा 72283.2 मीट्रिक टन कि आवक व 59211 का उठान, हैफेड द्वारा 123019.45 मीट्रिक टन की आवक व 103721.4 का उठान, हरियाणा वेयर हाऊसिंग कार्पोरेशन द्वारा 94130.5 मीट्रिक टन की आवक व 74064 का उठान और एफसीआई 10085.5 मीट्रिक टन की आवक व 9085.5 मीट्रिक टन गेंहू का उठान किया जा चुका है। उपायुक्त ने किसानों से भी अपील की कि वह फसल को साफ सुथरी करके लाएं और सरसों में नमी की मात्रा आठ प्रतिशत से अधिक न हो।
नाबालिग को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना ही बाल शोषण : ऊषा गिरोत्रा
हर्षित सैनी / जिला विधिक सेवाए प्राधिकरण रोहतक के सचिव एवं सीजेएम खत्री सौरभ के निर्देशानुसार आज राजकीय कन्या वरिष्ठï माध्यमिक विद्यालय, मॉडल टाउन में बाल शोषण विषय को लेकर एडवोकेट ऊषा गिरोत्रा व वीएलवी कविता द्वारा एक कैम्प का आयोजन किया गया है। Rohtak Hindi News
उन्होंने बताया कि बाल शोषण की समस्या विकराल रूप ले चुकी है, यह केवल देश नहीं बल्कि विदेशों में भी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। समाज में व्याप्त हर बुराई के पीछे का कारण शिक्षा का अभाव होता हैं लेकिन पुराने जमाने से अब तक शिक्षा का स्तर बढ़ा है। उसके साथ ही इस बाल शोषण ने भी अपने पैर तेजी से फैलाए हैं, यह आधुनिक समाज की अति गंभीर बीमारी है। उन्होंने शिविर में बाल शोषण विषय पर विस्तार से वर्णन किया और महत्वपूर्ण जानकारी दी।
बाल यौन शोषण क्या है?
जब बच्चों को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताडि़त किया जाता हैं, उसे बाल शोषण कहते है। इसके तहत नाबालिक अर्थात 18 वर्ष से कम की आयु के बच्चें शामिल होते है। जब भी बच्चे डर जाएं, उन्हें चोट पहुंचाई जाए, इस तरह की घटना बाल शोषण के दायरे में आती है। Rohtak Hindi News
बाल शोषण की शुरुआत एवं उत्तपत्ति का कारण
इसकी शुरुवात 1920 मे ही हो चुकी थी लेकिन अब तक इस पर खुल कर चर्चा नहीं की जाती। यह समस्या भारत की ही नहीं हैं यह सभी देशों का अहम मुद्दा है। भारत में यौन संबंधी बातों पर खुल कर कहना अपराध एवं शर्म का विषय समझा जाता हैं, इसलिए बच्चें अपने बात माता पिता के सामने रखने में खुद को असहज मानते है।
उन्होंने बताया कि अगर बच्चे बता भी दे, तो माता पिता ऐसी घटनाओ को छिपा जाते है। ऐसे में बच्चों को सही सलाह एवं हिम्मत ना मिलने के कारण यह अपराध बढ़ता ही जा रहा है और यही इसके व्यापक होने का कारण है। Rohtak Hindi News
बाल शोषण का अपराधी कौन हैं ?
बड़ी-बड़ी रिसर्च और अनुभव यह कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले हमेशा परिवार के करीबी होते हैं, जिनका घर में आना जाना बना रहता है और उनकी दोस्ती बच्चों से जल्दी हो जाती है। वे बच्चों के साथ इतने खुश दिखाई देते हैं कि समझा ही नहीं जा सकता कि उनके इरादे इतने घिनौने है।
आमतौर पर ये घर के नौकर होते हैं, क्योंकि आज के व्यस्त जमाने में बच्चे नौकरों के साथ ज्यादा समय गुजारते हैं और कई तरह के केस नौकरों के खिलाफ ही सुनने में आते हैं.
बाल शोषण के प्रकार क्या क्या हैं?
जब किसी बच्चे से ऐसी बाते की जाती हैं, जो उन्हें मानसिक तनाव देता हैं या उन्हें डराता हैं, वे सभी मानसिक प्रताड़ना के अंतर्गत शामिल है। बच्चों से अनुचित बातें करना, उन्हें किसी चीज से डराना, उनके मन में भय पैदा करना ये सभी अपराध हैं, जिनके खिलाफ आवाज उठाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि जब किसी बच्चे को अनुचित तरीके से अनुचित जगहों पर छुआ जाता हैं, उन्हें तकलीफ पहुंचाई जाती हैं या उन्हें मारा जाता हैं। वे सभी शारीरिक प्रताडऩा में शामिल है। इस दिशा में बच्चों को शिक्षित करना आवश्यक हैं ताकि वे इस शोषण को समझ सके और खुलकर अपने माता-पिता अथवा पालकों से कह सके।
बच्चों पर इसका प्रभाव
जो बच्चें इस शोषण से ग्रसित होते हैं, वो या तो बहुत डरे हुए होते हैं या बहुत ज्यादा गुस्सेल और चिड़चिड़े हो जाते हैं। कुछ बच्चें बहुत ही शर्मीले हो जाते हैं, किसी से बात करने में खुद को असहज महसूस करते हैं, कम बोलते है।
कई बार बच्चें बहुत बदतमीज हो जाते हैं, उन्हें घर के लोगों से भी एक अजीब सा व्यवहार करता देखा जाता है। ऊषा गिरोत्रा एडवोकेट ने कहा कि बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। मानसिक रोगी की तरह बर्ताव करने लगते है। अत्यधिक सोने अथवा खाने भी लगते हैं। ऐसे बच्चें आसानी से आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं जैसे चोरी करना, मारना पीटना अथवा ड्रग्स आदि का सेवन करने लगना।
वे सभी कारण जो बच्चे को दूसरे बच्चों से अलग दिखाए। उनके ऐसे बर्ताव के पीछे बाल शोषण एक अपराध शामिल हो सकता है। इसलिए सभी को इस दिशा में कार्य करने की जरूरत हैं ताकि मौसम ऐसे घृणित अपराध का शिकार ना हो।
बाल शोषण रोकने के उपाय
बाल शोषण को रोकने के लिए जरूरी हैं कि बच्चों को सही और गलत का ज्ञान दिया जाये। उनसे इस विषय में खुलकर बात की जाये, ताकि वे इस शोषण को समझ सके और अपनों से कह सके। बच्चों को यह ज्ञान होना बहुत आवश्यक है, कि वो अपने और पराये के अंतर को समझ सके। वैसे यह बहुत मुश्किल हैं क्योंकि व्यस्क भी कौन अपना कौन पराया का हिसाब सही नहीं कर सकता, तो बच्चें तो ना समझ होते है। पर फिर भी उन्हें कुछ हद तक ज्ञान देना आवश्यक है।
बच्चों को शारीरिक शोषण को समझने के लिए अच्छे और बुरे टच को महसूस करने का ज्ञान दिया जाना जरूरी है। बच्चों की बातों को छिपाने के बजाय उसका खुलकर विरोध करें, इससे आपका बच्चा तो आत्मविश्वास महसूस करेगा ही, समाज का हर व्यक्ति इससे शिक्षित होगा और अपराधी अपराध करने से पहले कई बार सोचेगा।
एडवोकेट ऊषा का कहना था कि बाल शोषण से निपटने के लिए आज कल कई तरह की क्लासेस भी चलाई जा रही हैं जहां बच्चों को इस बात की समझ दी जाती हैं और माता-पिता को भी सिखाया जाता हैं कैसे बच्चों को खेल-खेल में यह सब सिखाए। इसलिए बिना शर्म किए ऐसी क्लासेस का हिस्सा बने और अपने बच्चों को भी वहां भेजे।
बाल शोषण से ग्रसित बच्चों को कैसे उभारे ?
दुर्भाग्यवश बच्चा इस बाल शोषण का शिकार हो चुका हैं तो सबसे पहले अपराधी को सजा दिलवाये और उसकी कानूनी कार्यवाही करें। बच्चें से अच्छे से बात करने और उसे यकीन दिलवाएं कि वो अब सुरक्षित हैं, उससे माफी मांगे कि आपके होते हुए उसके साथ यह हुआ। यह सभी जल्द से जल्द खत्म कर उसे एक नया और अच्छा वातावरण दे।
ध्यान रहे बच्चा इस घटना से सीख तो ले लेकिन यह घटना उसके मन और दिमाग कर कब्जा ना करले। जरूरी हैं कि बच्चा इन बातों के भय से बाहर निकल कर नॉर्मल बच्चों की तरह जीवन जिये। और इसके लिये आपको अपने व्यवहार में सावधानी रखनी होगी क्योंकि एक बार अपराध होने के बाद आप एक्स्ट्रा केयर करेंगे और कहीं यही केयर ही बच्चे को वो घटना भूलने ना दे और वो अपने आपको दूसरे बच्चों से अलग समझने लगे। इसके लिये जरूरी है कि आप बच्चें को पूरी आजादी के साथ जीवन जीने दें।
बाल शोषण के लिए बने कानून
हमारे देश में महिलाओं के शोषण के लिए बहुत से कानून बनाये जा चुके थे लेकिन बच्चें जो कि 18 से कम आयु के हैं उनके शोषण के विरुद्ध देश में कोई बड़ा कानून नहीं था। बहुत सी वारदातों एवं घटनाओं से स्पष्ट हुआ, कि बाल शोषण अपराध भी दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा हैं और इनके पीछे ज़्यादातर करीबी लोगों का होना पाया गया हैं। इस कारण 2012 में बाल शोषण के खिलाफ बड़ा कानून बनाया गया, जिसे प्रोटेक्टशन ऑफ चिल्ड्रन अंगेस्ट सेक्सुयल ऑफेंस बिल 2011 के रूप में सदन में पारित किया गया। बाद में इसे 22 मई 2012 को एक एक्ट बनाया गया।
बाल शोषण के अलावा और भी कई अपराध हैं, जो बच्चों से संबंधी होते हैं और वे सभी बच्चों के जीवन नकारात्मक प्रभाव डालते है। ऐसे अपराधों में बालश्रम, बाल विवाह आदि आते हैं जो बच्चों की नींव को कमजोर कर उनके भविष्य को खराब करते है। इन सबके साथ समाज को लडऩा बहुत जरूरी हैं ताकि समाज का विकास हो सके।
सक्षम के लिए नियुक्त क्षेत्र निरीक्षकों को दिया प्रशिक्षण
हर्षित सैनी / राजकीय वरिष्ठï माध्यमिक विद्यालय, गांधी नगर में सक्षम घोषणा राउंड-8 एवं सक्षम प्लस राउंड-2 के 17 मई को आयोजित होने वाले सक्षम-असेसमेंट के लिए नियुक्त 152 फील्ड इन्विगिलटर (क्षेत्र निरीक्षक) को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण सुबह 9 बजे से लेकर अपरान्ह 2 बजे तक चला।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ जिला परियोजना समन्वयक, समग्र शिक्षा रोहतक जितेंद्र सांगवान ने सभी उपस्थित 190 (152 + 30 (रिजर्व) प्रशिक्षार्थियों को सम्बोंधित कर अपनी ड्यूटी कर्तव्यनिष्ठा एवं ईमानदारी से निभाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
प्रशिक्षण की जिम्मेदारी डाईट मदीना में कार्यरत राजेश डबास एवं विकास वशिष्ठ प्रवक्ताओं की रही, जिनको प्रशिक्षण सम्बन्धित विभिन्न बारीकियों बारे एसआईईएमएनटी भिवानी में पहले से ही प्रशिक्षण प्रदान किया गया था। इस सक्षम घोषणा राऊंड-8 के लिए जिला रोहतक के कलानौर एवं रोहतक ब्लॉक चिन्हित किये गये थे, जबकि सक्षम प्लस राऊंड-2 के लिए ब्लॉक लाखनमाजरा को चुना गया था।
इस सक्षम-असेसमेंट में कक्षा 4, 6 एवं 8 में अध्यनरत विद्यार्थियों के लर्निंग लेवल का असेसमेंट विषय हिंदी व गणित ब्लॉक रोहतक और कलानौर सक्षम घोषणा राऊंड-8 एवं ब्लॉक लाखनमाजरा का सक्षम प्लस राऊंड-2 के लिए कक्षा 4, 6 एवं 8 में अध्यनरत विद्यार्थियों के अंग्रेजी विषय के लर्निंग लेवल का असेसमेंट होना है।
इस सक्षम घोषणा राउंड-8 के ब्लॉक कलानौर एवं रोहतक के 40 स्कूल व सक्षम प्लस राउंड-2 में ब्लाक लाखनमाजरा के 36 स्कूल चुने गये है। जिनका निर्धारण अक्रमत: (रेंडम सेम्पलिंग) प्रणाली से हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद् पंचकुला के द्वारा किया गया है।
परिषद् द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार चार श्रेणी के शिक्षकों का परीक्षक ड्यूटी के लिए निर्धारण किया गया जिसमें डाईट मदीना के डीईडी स्टूडेंट्स, ड्राइंग टीचर, वोकेशनल ट्रेनर एवं पीटीआई नियुक्त किये गये हैं। प्रतिभागी कक्षा 4, 6 एवं 8 में अध्यनरत विद्यार्थियों की संख्या निम्नलिखित है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती परमेश्वरी हुड्डा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी डा. विजयलक्ष्मी, प्राचार्य डाईट मदीना वीरेन्द्र मलिक, सीएमजीजीए प्रांजल ने प्रशिक्षकों को परीक्षा के निष्पक्ष, निष्ठापूर्वक एवं नकलरहित आयोजित करवाने का संकल्प दोहराया एवं निर्देश दिया कि परीक्षा में किसी प्रकार की अनियमतता नही पायी जानी चाहिए, इसके लिए निरीक्षण एवं मोनीटरिंग टीम बना दी गई है, जो परीक्षा के सुचारू संचालन का निरीक्षण करेंगी।
प्रांजल ने सभी उपस्थित कर्मचारियों को निष्ठा एवं ईमानदारी से परीक्षा सम्पन्न करवाने की शपथ दिलवाई। जितेन्द्र सिंह सांगवान ने उपस्थित सभी अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंचने पर स्वागत किया एवं सक्षम परीक्षा के सफल एवं नकल रहित आयोजन बारे उपस्थित निरीक्षकों को आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी। Rohtak Hindi News
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सुरेश हुड्डा, राजेन्द्र शर्मा, राममेहर एवं राजेश मलिक, एपीसी ने व्यवस्था प्रबन्धन में विशेष सहयोग दिया।