मकर संक्रांति पर प्रयागराज कुंभ के पहला शाही स्नान की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। पहला शाही स्नान मंगलवार यानी 15 जनवरी को सुबह करीब 6 बजे शुरू होगा और शाम 4 बजे तक चलेगा। कुंभ का यह सबसे बड़ा आकर्षण होगा, जिसमें अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, महंत और नागा संन्यासियों के पैरों की रेत लेने की होड़ मचेगी। मेला प्रशासन की भी यह पहली बड़ी परीक्षा होगी। यही मौका होगा जब नागा संन्यासियों को संगम में बच्चों की तरह अटखेलियां करते देखा जा सकेगा।

यह होगा स्नान का समय

6:15 बजे सुबह महानिर्वाणी, अटल अखाड़ा
8:00 बजे सुबह जूना, आवाहन, श्रीपंच अग्नि अखाड़ा
11:20 बजे सुबह दिगंबर अनि अखाड़ा
13:15 बजे नया उदासीन अखाड़ा
7:05 बजे निर्मला अखाड़ा करेगा स्नान
10:40 बजे पंच निर्मोही अनि अखाड़ा
12:20 बजे निर्वाणी अनि अखाड़ा
14:20 बड़ा उदासीन अखाड़ा
15:40 बजे सुबह निरंजनी, आनंद अखाड़ा

मेला प्रशासन ने अखाड़ों के शाही स्नान का क्रम भी तय कर लिया है। सबसे पहले संन्यासी अखाड़ों का स्नान होगा। इसके बाद बैरागी और फिर उदासीन अखाड़े स्नान करेंगे। संन्यासी अखाड़ों में सबसे पहले श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्रीपंचायती अटल अखाड़े का स्नान होगा। वहीं, उदासीन अखाडों में सबसे बाद में श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मला का स्नान होगा। पेशवाई में भी अखाड़ों का करीब-करीब यही क्रम रहा है। मेले में पुलिस के साथ अर्द्धसैनिक बल के जवानों और सेना को भी तैनात किया गया है। मेला क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरों की मदद से निगाह रखी जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर वायुसेना को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है।

अखाड़ों में जहां नागा संतों की दिनचर्या और अनूठी मुद्राएं देखने को मिलेंगी, वहीं अरैल मेला क्षेत्र में बनाए गए संस्कृति और कला ग्राम में पूरे भारत की झलक दिखाई देगी। कला ग्राम के पास ही उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का पंडाल है। जहां देश के सात सांस्कृतिक केंद्रों की प्रस्तुति रोज होगी। साथ ही कुंभ में आने वाले लोग पहली बार अकबर के किले में अक्षयवट और सरस्वती कूप के भी दर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा 12 माधव की परिक्रमा और क्रूज की सवारी का भी आनंद ले सकेंगे।

कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों के शाही स्नान का वक्त तय कर दिया गया है। हर अखाड़े को 45 मिनट का वक्त दिया जाएगा। सभी 13 अखाड़े तीन शाही स्नानों में हिस्सा लेंगे। 15 जनवरी को मकर संक्रांति, 4 फरवरी को वसंत पंचमी और 10 फरवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान में सभी अखाड़ों को शाही स्नान करना है। अखाड़ों के शाही स्नान में आचार्य महामंडलेश्वर और लाखों नागा साधु-संत मौजूद रहेंगे।