पेरिस । फ्रांसीसी व्यंग्यात्मक साप्ताहिक चार्ली हेबदो के दफ्तरों में स्वचालित रायफल और एक रॉकेट लॉंचर से लैस सशस्त्र हमलावरों ने गोलीबारी की, जिसमें कम से कम 12 लोग मारे गए हैं। जांच से करीबी तौर पर जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी।
अभियोजन कार्यालय ने बताया कि फिलहाल 10 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। हालांकि घायलों की संख्या का ब्यौरा नहीं दिया। जांच से करीबी तौर पर जुड़े एक अन्य सूत्र ने बताया कि मृतकों की संख्या 12 पहुंच गई है। इससे पहले पेरिस के डिप्टी मेयर ब्रुनो जुलियार्ड ने बताया था कि एक पुलिसकर्मी सहित छह लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इनकी मृतकों में गिनती की गई है या नहीं। इस हमले में चार कार्टूनिस्ट की मौत हो गई है। इन सबके नाम इस प्रकार है। काबू, वोलिंस्की, चरब और टिंगो।
राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कैबिनेट की एक आपात बैठक भी बुलाई है। सरकार ने वृहत पेरिस क्षेत्र में अलर्ट का स्तर यथासंभव उच्चतम कर दिया है। जांच कार्य से करीबी रूप से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि एक स्वचालित राइफल ‘कालशनीकोव’ और एक रॉकेट लॉंचर लिए दो सशस्त्र लोगों ने मध्य पेरिस स्थित इमारत में धावा बोला तथा सुरक्षा बलों के साथ उनकी मुठभेड़ हुई।मला
सूत्र ने बताया कि एक बंदूकधारी ने एक कार अगवा की थी। प्रकाशन के काटूर्निस्ट रेनॉड लुजियर ने इससे पहले एएफपी को बताया कि घटना के बाद कुछ लोग हताहत हुए हैं। यह व्यंग्यात्मक अखबार फरवरी 2006 में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापने को लेकर चर्चा में आया था, जिसे इस्लाम में ईशनिंदा माना जाता है। हालांकि, यह मूल रूप से डेनिश अखबार जेलैंड्स पोस्टन में प्रकाशित हुआ था जिसे चार्ली हेबदो ने दोबारा प्रकाशित किया था। इस कार्टून को लेकर मुस्लिम जगत में रोष छा गया था।
इसके कार्यालयों पर नवंबर 2011 में गोलीबारी हुई थी और बम फेंके गए थे, जब इसने पैगंबर का कार्टून ‘शरिया हेबदो’ शीषर्क के तहत प्रकाशित किया था । इस्लाम में तस्वीर और मूर्ति की सख्त मनाही है और पैगंबर की तस्वीर बनाने को अधिकांश इस्लामी परंपराओं में ईशनिंदा माना जाता है। नस्लवाद रोधी कानूनों को लेकर अदालत में घसीटे जाने के बावजूद साप्ताहिक ने पैगंबर के कार्टून प्रकाशित करना जारी रखा।
सितंबर 2012 में चार्ली हेबदो ने पैगंबर के कार्टून प्रकाशित किए, वहीं ‘इनोसेंस ऑफ मुस्लिम्स’ नाम से एक कम बजट की फिल्म आने पर कई देशों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। यह फिल्म अमेरिका में बनी थी और इसमें पैगंबर का अपमान किया गया था। 20 मुस्लिम देशों में फ्रांसीसी स्कूल, वाणिज्य दूतावास और सांस्कृतिक केंद्र हमले की आशंका के मद्देनजर संक्षिप्त अवधि के लिए बंद कर दिए गए हैं। संपादक स्टीफन चारबोनियर को जान से मारने की धमकियां मिली हैं और वह पुलिस हिफाजत में हैं।
(भाषा )