नई दिल्ली । केन्द्रीय गृहमंत्राी श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार ने देश की अति प्राचीन और करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली तीन भाषाओं राजथानी, भोजपुरी और भोती को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का मन बना लिया है और इसके लिए आवश्यक कार्यवाही प्रारंभ कर दी है। श्री सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा मान्यता समिति के प्रतिनिधिमंडल को यह जानकारी दी। लोकसभा में सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक सांसद श्री अर्जुनराम मेघवाल और राजस्थानी भाषा मान्यता समिति के अध्यक्ष श्री के.सी. मालू के नैत्तृत्व में केन्द्रीय गृहमंत्राी से मिले प्रतिनिधिमंडल में साहित्यकार श्री देवकिशन राजपुरोहित, श्री राजेन्द्र व्यास, श्री इन्दू सिंह सोढ़ा, श्री जय आहूजा और अन्य प्रतिनिधिगण शामिल थे। उन्होने केंद्रीय गृहमंत्राी को एक स्मरण पत्रा भी भेंट किया। केंद्रीय गृहमंत्राी ने इस अवसर पर बताया कि देश की इन तीन प्राचीन भाषाओं को मान्यता प्रदान करने सम्बंधी एक केबीनेट नोट तैयार कर शीघ्र ही केंद्रीय मंत्राीमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा और अनुमोदन मिलने पर इसे संसद में पेश करने की कार्यवाही की जायेगी। सांसद श्री मेघवाल ने बताया कि राजस्थानी भाषा हजार वर्ष से भी पुरानी समृद्ध शब्दकोष और प्रचुर साहित्य वाली भाषा है तथा देश-विदेश में करीब दस करोड़ लोग इस भाषा को जानने और बोलने वाले हैं। देश के साहित्य में वीर एवं भक्तिरस के साथ ही संस्कृति के संरक्षण में राजस्थानी भाषा का असाधारण योगदान है। मान्यता प्राप्त सत्राह में से दस अन्य भाषाओं के समान ही राजस्थानी भाषा की लिपि भी देवनागरी है। संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित भाषाओं में राजस्थानी ही ऐसी भारतीय भाषा है जो केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त है। राजस्थानी भाषा को नेपाल में संवैधानिक दर्जा प्राप्त है एवं अमेरिका में नौकरियों के लिए मान्यता है। उन्होने बताया कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने से राष्ट्रभाषा हिन्दी का विकास होगा। साथ ही भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और राजस्थान के शिक्षित युवक-युवतियों को शिक्षा, रोजगार एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिक अवसर उपलब्ध हो सकेगें। समिति कि अध्यक्ष श्री के.सी मालू ने संविधान के अनुच्छेद 344 और 351 की और आकर्षित करते हुए बताया कि राज्यों को हिन्दी के विकास के साथ राज्य की मातृभाषा का भी ध्यान रखना आवश्यक है। उन्होने ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ का उल्लेख करते हुए बताया कि इसमें प्राथमिक शिक्षा अपनी मातृभाषा में देने का प्रावधान है। श्री मालू ने राजस्थानी भाषा को यथा शीघ्र संवैधानिक मान्यता प्रदान कर आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध करते हुए बताया कि राजस्थानी भाषा इसकी पूरी पात्राता रखती है।